कश्मीर से विस्थापित पूर्व सरकारी कर्मचारियों को फिलहाल सरकारी घरों में रहने की अनुमति देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा है कि सरकार जल्द ही इनके लिए वैकल्पिक घर की व्यवस्था करे। अदालत ने सरकार के उस आदेश को रद कर दिया है, जिसमें सेवानिवृत्त होने के बाद इन कर्मचारियों को सरकारी घर खाली करने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति गीता मित्तल ने कहा कि इन कर्मचारियों के पुनर्वास का प्रबंध करने के बजाय सरकार ने इनको दिए गए सरकारी घरों से भी निकालने की धमकी दी है। इसलिए वे सरकार से हर्जाना पाने के हकदार हैं। सरकार सभी याचिकाकर्ताओं को 25-25 हजार रुपये का हर्जाना भी दे।
अदालत ने साफ कर दिया है कि यह राहत सिर्फ इन याचिकर्ताओं को दी गई है क्योंकि भारत के नागरिक होते हुए भी उनके मूलभूत अधिकार व मानव अधिकारों का हनन हुआ है। इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी व्यक्ति जिसके पास अपना घर न हो या उसके किसी अधिकार का हनन न हुआ हो, उसे भी सरकारी घर में रहने की अनुमति मिल जाएगी। इसलिए अदालत का आदेश इस मामले की परिस्थितियों के हिसाब से है या फिर उन मामलों में लागू होगा, जिनमें राज्य सरकार अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने में नाकाम रहती है। जो उन नागरिकों को उनके घर छोड़कर जाने पर मजबूर कर देता है या फिर वह अपने पैतृक स्थान पर नहीं जा पाते हैं, क्योंकि सरकार उनको सुरक्षा नहीं दे पा रही है। अदालत ने कहा कि हर व्यक्ति के लिए छत मौलिक अधिकार का एक हिस्सा है और सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी होती है कि वह अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करे। अदालत ने कहा कि इस मामले के तथ्यों से पता चला है कि कश्मीर से विस्थापित अल्पसंख्यक समुदाय के इन लोगों व इनकी संपत्ति की सरकार रक्षा नहीं कर पाई और वे बेघर हो गए।
अदालत में याचिका दायर करने वाले 24 याचिकर्ताओं ने कहा कि वे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के तौर पर जम्मू एवं कश्मीर में काम करते थे। वे लोग इंटेलीजेंस, आर्मी व अन्य सरकारी विभागों में कार्यरत थे। आतंकियों की तरफ से मिल रही धमकी के कारण उनको दिल्ली लाया गया था। उनको उस समय सरकारी घर सिर्फ इसलिए ही नहीं दिए गए थे कि वे सरकारी कर्मचारी हैं, बल्कि इसलिए भी दिए गए थे क्योंकि उनके पास रहने के लिए कोई घर नहीं था। अब इनके सेवानिवृत्त होने के बाद सरकार इनको निकाल रही है। ऐसे में वे कहां जाएं। याचिकाकर्ता सरोजनी नगर, उत्तरी-पश्चिमी मोती बाग, आरके पुरम, पुष्प विहार आदि इलाकों में स्थित सरकारी घरों में रहते हैं(दैनिक जागरण,दिल्ली,1.12.2010)।
अच्छी सूचना। अच्छा निर्णय।
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