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04 दिसंबर 2010

राजस्थानःशिक्षा और रोज़गार समाचार

सुखाडिया विश्वविद्यालयःसरकार को भेजेंगे संशोधित रोस्टर
सुखाडिया विश्वविद्यालय में शैक्षणिक पदों की भर्तियों के रोस्टर में हुई गड़बडियों को लेकर गुरूवार को प्रशासनिक अधिकारियों ने दुबारा रिकार्ड खंगाले। इसके बाद भी विश्वविद्यालय के अधिकारियों को समझ में नहीं आया कि राज्य सरकार ने किस आधार पर हिन्दी में एससी और बोटनी में एसटी का पद काटा है। अधिकारियों ने सारे रिकार्ड देखने के बाद कहा कि इन दोनों विषयों में रोस्टर का विश्वविद्यालय का नियम ठीक है और इस हिसाब से हिन्दी में एससी और बोटनी में एसटी का पद जुड़ना चाहिए। इसके बाद विवि प्रशासन ने विशेष अधिकारी के साथ संशोधित रोस्टर जयपुर भेजने का निर्णय किया।
राजस्थान पत्रिका के तीन दिसम्बर के अंक में प्रथम पृष्ठ पर 'चहेतों के लिए मनमाना रोस्टर' शीर्षक से भर्तियों में आरक्षण लागू करने में हुई गड़बडियों को उजागर किया था। उपरोक्त दो विषयों के अलावा प्राणीशास्त्र में संशोधित रोस्टर भेजने को अनुचित मानते हुए राज्य सरकार के निर्णय को सही मान लिया है। यह मामला अधिष्ठाता पुत्र को नियुक्त दिलाने के प्रयास से जुड़ा हुआ है। इस विषय में राज्य सरकार ने संशोधित रोस्टर नहीं मानकर यह पद अन्य पिछड़ा वर्ग को दिया था। अब विवि के भी इसे मान लेने से सामान्य वर्ग के अधिष्ठाता पुत्र को नियुक्ति नहीं मिल पाएगी।
विशेष अधिकारी के साथ दोनों विषयों का संशोधित रोस्टर भेजा जाएगा।
प्रो. आई वी त्रिवेदी, कुलपति सुखाडिया विश्वविद्यालय(राजस्थान पत्रिका,उदयपुर,4.12.2010)

पांच साल में पांच हजार को रोजगार की गारंटी
मेवाड़ के 5 हजार से अघिक ग्रामीण बीपीएल युवाओं को अगले पांच साल में रोजगार मुहैया हो जाएगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय की योजना के तहत शुक्रवार को उदयपुर जिला प्रशासन, हिन्दुस्तान जिंक और आईएलएंडएफएस कम्पनी में हुए करार में यह गारंटी दी गई है। इसके लिए युवाओं को विशेष रोजगारोन्मुखी तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा।

स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना के अंतर्गत ग्रामीण विकास मंत्रालय ने उदयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और राजसमंद जिलों के लिए यह योजना स्वीकृत की है। 14.88 करोड़ की इस योजना के तहत पांच साल के दौरान 7800 युवाओं को विभिन्न तकनीकी प्रशिक्षण दिए जाएंगे। हर युवा को 240 घंटे प्रशिक्षण के तहत 30 दिन तक 8-8 घंटे प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद कम्पनी 75 प्रतिशत युवाओं को रोजगार मुहैया कराएगी।
योजना में मंत्रालय का 75, जिंक का 13 व आईएलएंडएफएस का 12 प्रतिशत हिस्सा है। करार पर जिला कलक्टर हेमंत गेरा, हिन्दुस्तान जिंक के सह उपाध्यक्ष [सीएसआर] अहमर सुल्तान तथा आईएलएंडएफएस के चीफ ऑपरेशन [स्किल डवलपमेंट] डॉ. आर.एन.द्रविड़ ने हस्ताक्षर किए।

भीलवाड़ा में बनेगा मल्टी स्किल्स हब

यूं तो चारों जिलों में बनने वाले प्रशिक्षण केंद्रों पर इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रॉनिक्स, डाटा एंट्री, सिक्यूरिटी गार्ड, सेल्स मैन, लेदर आदि सामान्य कामकाज का प्रशिक्षण दिया जाएगा, लेकिन भीलवाड़ा में मल्टी स्किल्स ट्रेनिंग हब बनाया जाएगा। यह हब दिसम्बर अंत में शुरू कर दिया जाएगा। उदयपुर में ट्रेनिंग सेंटर जनवरी अंत या फरवरी के पहले हफ्ते में शुरू होगा।
चयन में इन्हें मिलेगी प्राथमिकता 
चयन के दौरान संबंघित जिले में नरेगा में 100 दिन रोजगार करने वाले, बीपीएल और उनमें भी एससी-एसटी श्रेणी के [जो प्रमाणित हों] को प्राथमिकता दी जाएगी। इनमें कम से कम 50 प्रतिशत एससी-एसटी युवा लिए जाएंगे। महिला अभ्यर्थियों और अल्पसंख्यकों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। प्रशिक्षण का विषय युवा उनकी योग्यता के अनुसार चयन कर सकेंगे(राजस्थान पत्रिका,उदयपुर,4.12.2010)।

ड्रॉप आउट बच्चों के लिए 'काउंसलर'
गत अगस्त में राज्यभर में शिक्षा की स्थिति को लेकर विधानसभावार करवाए गए सर्वे के तहत कामकाज शुरू हो चुका है। चाइल्ड टै्रकिंग सर्वे में सामने आई परिस्थितियों के आधार पर अब विद्यार्थियों के लिए कई योजनाएं संचालित की जाएंगी, जिन्हें सलाहकार के माध्यम से संचालित किया जाएगा।
सभी जिलों में ये सलाहकार सर्व शिक्षा अभियान द्वारा नियुक्त किए जा रहे हैं। ये सलाहकार मूलरूप से ड्रॉप आउट विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर प्रस्ताव तैयार करेंगे और प्रारंभिक शिक्षा परिषद को भेजेंगे। प्रस्ताव पर अमल होने के बाद उसकी क्रियान्विति भी सलाहकार के निर्देशों के अनुसार ही होगी।

ये होंगे सलाहकार
प्रारंभिक शिक्षा परिषद की ओर से सलाहकार का चयन जिला स्तर पर किया जाएगा। सर्व शिक्षा अभियान द्वारा इसके लिए साक्षात्कार आयोजित किए जाएंगे। सलाहकार के लिए योग्यता एवं अनुभव में द्वितीय श्रेणी अध्यापक के पद से सेवानिवृत्ति, कम से कम 10 साल का ग्रामीण क्षेत्र में सेवा करने का अनुभव तथा ऎसे व्यक्ति, जिन्हें शिक्षा से जुड़ी परियोजनाओं (जैसे डीपीईपी, लोक जुम्बिश, शिक्षाकर्मी, सर्व शिक्षा अभियान) में कार्य का अनुभव हो, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।

कोटा की स्थिति
चाइल्ड टै्रकिंग सर्वे में ड्रॉप आउट विद्यार्थियों की गणना 6 से 10, 11 से 14 और 15 से 18 आयु वर्ग में की गई। खैराबाद 8594, सांगोद में 7735, कोटा दक्षिण में 2550, कोटा उत्तर में 3184, इटावा में 5731, लाडपुरा में 5640 बच्चे शिक्षा से दूर हैं। इसमें 17300 विद्यार्थियों को ड्रापआउट माना गया है।
441 विद्यार्थियों के लिए कई योजनाएं संचालित हैं, जिसमें नोन रेजिडेंशियल स्कूल कैथून व मण्डाना में संचालित हैं। शिक्षामित्र केन्द्र खैराबाद में 8, इटावा में 8, सुल्तानपुर में 3 प्रस्तावित हैं, इसमें से कुछ शुरू भी हो चुके हैं। कोटा में स्टे होम कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
सलाहकार की नियुक्ति की जानी है, इसके लिए 15 दिसम्बर को साक्षात्कार भी रखे गए हैं। ड्रॉपआउट विद्यार्थियों के लिए सभी कार्यक्रम सलाहकारों के निर्देशन में ही होंगे।
- पुरूषोत्तम माहेश्वरी, अतिरिक्त परियोजना समन्वयक, सर्व शिक्षा अभियान, कोटा(राजस्थान पत्रिका,कोटा,4.12.2010)

इंदिरा गांधी नहर परियोजनाःपद समाप्त करने का सिलसिला शुरू
इंदिरा गांधी नहर परियोजना में पदों को समाप्त करने का सिलसिला शुरू हो गया है। पहले चरण में राज्य सरकार ने मुख्य अभियंता कार्यालय बीकानेर के ही 48 पदों को समाप्त करते हुए अधिशेष कार्मिकों को संभाग में ही पदस्थापित करने के आदेश दिए हैं।
इंदिरा गांधी नहर विभाग के शासन सचिव ने मुख्य अभियंता को निर्देश दिए हैं कि इन पदों को समाप्त मानते हुए नए सिरे से पदस्थापन किया जाए। बजट निर्धारण समिति 2010-11 की हाल ही में हुई बैठक में इन पदों को समाप्त करने का निर्णय हो चुका था। अब पद समाप्त करने के अधिकृत आदेश जारी हुए हैं।
समाप्त किए गए पदों में मुख्य अभियंता कार्यालय में कार्यरत मुख्य प्रारूपकार के दो, वरिष्ठ प्रारूपकार के दो, कनिष्ठ प्रारूपकार के चार, कम्प्यूटर के दो, एस्टीमेटर के दो, ट्रेसर के तीन, फैरोमेन के दो, कार्यालय सहायक के चार, वरिष्ठ लिपिक के दस, कनिष्ठ लिपिक के चार, टेलीफोन ऑपरेटर के एक, जमादार के एक, चपरासी के दस तथा दफ्तरी के एक पद को तोड़ने के आदेश दिए हैं।
क्या बचेगा नहर मुख्यालय पर
कभी आठ सौ किलोमीटर लम्बे चौड़े का नियंत्रण करने वाला बीकानेर का इंदिरा गांधी नहर मुख्यालय इतना कमजोर हो गया है कि अब इसके अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा हो गया। राज्य सरकार को भेजे प्रस्तावों के मुताबिक अगर इंदिरा गांधी नहर के पदों को समाप्त किया गया तो यहां सौ कार्मिक भी नहीं रहेंगे।
कैसे होगा संचालन?
कार्मिकों के अभाव में नहर परियोजना का संचालन मुश्किल में पड़ सकता है। अभियंताओं की माने तो पिछले वर्षो में किसानों को आपूर्ति में हो रही गड़बड़ी का बड़ा कारण कार्मिकों व अभियंताओं का अभाव है। ऎसे में अब पद तोड़ने से नहर संचालन पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।

'नहर मुख्यालय पर पद तोड़ने के संबंध में आदेश मैंने अभी देखे नहीं है, देखने के बाद ही कुछ बता सकूंगा।'
-बिरदीचंद, मुख्य अभियंता, इंगांनप, बीकानेर(राजस्थान पत्रिका,बीकानेर,4.12.2010)

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