कुदरत ने हीरे की चमक से नवाजा है इस ग्रह को। सीने में 2300 डिग्री का तापमान समेटे हुए है यह अद्भुत ग्रह। पृथ्वी से 1200 प्रकाश वर्ष दूर इस ग्रह को ढूंढ़ निकाला है बीएचयू के पूर्व छात्र निक्कू मधुसूदन ने जो वर्तमान में न्यू जर्सी स्थित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं और भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक हैं। मधुसूदन के मुताबिक डब्ल्यूएएसपी -12बी के गर्भ एवं वातावरण में कार्बन गैस की बहुलता है जिससे इस बात की संभावना बढ़ी है कि इस ग्रह पर हीरों जडि़त सितारे मौजूद हैं। ऐसी खासियत अब तक किसी भी ग्रह में देखने को नहीं मिल सकी है। साइंस जर्नल नेचर के मुताबिक वैज्ञानिकों का कहना है कि डब्ल्यूएएसपी-12बीनामक यह ग्रह अपने निकट के ही एक तारे का चक्कर लगाता है। इसका तापमान इस्पात को पिघलाने के लिए काफी है। प्रिंसटन विश्वविद्यालय के खगोल विज्ञान विभाग में पोस्ट डॉक्टरेट वैज्ञानिक मधुसूदन ने दो वर्ष पूर्व कैम्बि्रज स्थित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में ग्रहों पर मौजूद वातावरण का विश्लेषण करने वाले एक कम्प्यूटरीकृत प्रौद्योगिकी विकसित की थी। मधुसूदन का कहना है कि कार्बन से भरपूर ग्रह के आंतरिक हिस्से पर अप्रत्याशित रूप से असर पड़ता है। ऐसे में वैज्ञानिकों को ग्रहों की संरचना को लेकर लंबे समय से बनी अवधारणा पर फिर से मंथन करना चाहिए। कहा कि डब्ल्यूएएसपी-12बीग्रह बृहस्पति ग्रह से भी बड़ा है और हमेशा उबलता रहता है। यह इतना गर्म है कि एक ही दिन में अपने तारे का एक चक्कर लगा लेता है, जबकि सूर्य का एक चक्कर लगाने में पृथ्वी को 365 दिन लग जाते हैं। इस ग्रह के एक हिस्से पर सितारों का उजाला है जबकि दूसरे हिस्सा हमेशा अंधेरे में डूबा रहता है। बताया कि बेहद गर्म और ठोस सतह की कमी के चलते इस ग्रह पर जीवन संभव नहीं है। इसका यह मतलब कदापि नहीं है कि कार्बन मिश्रित अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना खत्म हो जाती है(दैनिक जागरण,वाराणसी,10.12.2010)।
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