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13 दिसंबर 2010

छत्तीसगढ़ःशिक्षा और रोज़गार समाचार

नाकाबिल प्रोफेसर करेंगे खेतों में काम!
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रबंध मंडल की बैठक में सोमवार सुबह 11 बजे शुरु हुई। इसमें नेट परीक्षा पास नहीं करने वाले 33 असिस्टेंट प्रोफेसरों को अध्यापन कार्य से अलग रखने का फैसला किया गया। आईसीएआर के नियमों के अनुसार इन प्रोफेसरों की परीवीक्षा अवधि समाप्त नहीं की जा सकती, इसलिए इन्हें नान टेक्निकल पदों में पदस्थ किया जाएगा।

2005 में इन प्रोफेसरों की भर्ती हुई थी। इन्हें दो साल में नेट उत्तीर्ण करने का समय दिया गया था, लेकिन किसी प्रोफेसर ने नेट क्लीयर नहीं किया। इस वजह से विवि इनकी परीवीक्षा अवधि समाप्त नहीं की गई। इस मामले में राजभवन से रियायत मांगी गई थी। राजभवन ने इन प्रोफेसरों को नान टेक्निकल पदों में रखने की सलाह दी है। बैठक में फैसला लिया गया कि अपात्र प्रोफेसरों को प्रदेश के 18 कृषि विज्ञान केंद्रों में पदस्थ किया जाएगा। वहां वे बीज उत्पादन और किसानों को तकनीकी सलाह देने का काम करेंगे। ये कृषि विज्ञान केंद्र ग्रामीण इलाकों में हैं। वहां सैकड़ों एकड़ में बीज उत्पादन किया जाता है। बैठक में कुलपति डा. एमपी पांडेय समेत पंतनगर कृषि विवि, हैदराबाद विवि के कुलपति शामिल होंगे। राज्य शासन की ओर से कृषि विभाग के उपसचिव पीके दवे और वित्त सचिव आरएस विश्वकर्मा और प्रबंध मंडल के तीन अशासकीय सदस्य सुरेश चंद्रवंशी, आशा वर्मा और अवधेश चंदेल उपस्थित हैं। बैठक शाम तक चलने के आसार हैं(गोविंद पटेल,दैनिक भास्कर,रायपुर,13.12.2010)।

2014 तक वनवासी क्षेत्र के एक लाख स्कूलों में एकल शिक्षा
झारखंड से शुरू हुई वनवासी क्षेत्र एकल शिक्षा अभियान यात्रा अब देश के 23 राज्यों में 30 हजार से ज्यादा स्कूलों तक पहुंच चुकी है। स्वामी विवेकानंद शताब्दी वर्ष 2014 तक यह संख्या एक लाख तक पहुंचानी है, ताकि हर क्षेत्र का वनवासी साक्षर हो सके।

रविवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए विश्व हिंदू परिषद प्रदेश जागरण समिति के संयोजक डा. गायत्री प्रसाद पांडेय ने बताया कि छत्तीसगढ़ के वनांचलों में 2500 स्कूल वनवासियों के लिए संचालित हैं।

बिलासपुर अंचल में 90 कोटा संकुल में चल रहे हैं। एकल शिक्षा योजना के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को अनौपचारिक शिक्षा दी जा रही है, जिसमें विकास, आरोग्य, जागरण व संस्कार शिक्षा शामिल हैं।

विकास शिक्षा में अक्षर ज्ञान, लिखना, बोलना, अंक गणित, सामान्य ज्ञान-विज्ञान, हस्तशिल्प, भाषा ज्ञान आते हैं। आरोग्य शिक्षा के अंतर्गत साफ-सफाई, बीमारियों से बचाव आदि बातें बताई जाती हैं। विकास शिक्षा के माध्यम से कृषि विकास के विभिन्न तरीके बताए जा रहे हैं।


इसी तरह जागरण शिक्षा में शासकीय योजनाओं की जानकारी आदि बातें बताई जा रही हैं। श्री पांडेय ने कहा कि एकल शिक्षा पद्धति अनौपचारिक शिक्षा कहलाती है, लेकिन यह औपचारिक शिक्षा की तुलना में कहीं अधिक कारगर है। इस अवसर पर उन्होंने एकल विद्यालय की विभिन्न कार्यप्रणालियों का भी वर्णन किया(दैनिक भास्कर,बिलासपुर,13.12.2010)।

सीएमओ परीक्षा में 35 फीसदी परीक्षार्थी नदारद
सीएमओ की परीक्षा में 65 फीसदी छात्र शामिल हुए। सभी केन्द्रों में परीक्षा शांतिपूर्ण हुई। परीक्षा के लिए शहर में 70 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे।छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित मुख्य नगर पालिका अधिकारी की परीक्षा विभिन्न केंद्रों में हुई।

परीक्षा के लिए जरूरी तैयारियां जिला प्रशासन ने पहले ही कर ली थी। शहर के तमाम केन्द्र के सामने ही बैनर लगाए गए थे। नोडल अधिकारी संयुक्त कलेक्टर एमएल गुप्ता ने बताया कि सुबह की पाली में कुल 23 हजार तीन में से 18106 परीक्षार्थी शामिल हुए। इसमें 4897 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। 

इसी प्रकार दूसरी पाली में कुल 23 हजार तीन में से 18 हजार 23 परीक्षार्थी शामिल हुए। इसमें कुल 4980 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। बिलासपुर जिले में परीक्षा आब्जर्वर के रूप में लोक सेवा आयोग के दो सदस्यों पूर्व आईजी रमेशचन्द्र शर्मा व एसएन राठौर को जिम्मेदारी दी गई थी। दोनो सदस्यों ने पूरे दिन परीक्षा केंद्रों को दौरा किया। 

शहर के अलावा मस्तूरी के परीक्षा केंद्रों का दौरा किया। शिक्षाकर्मी भर्ती परीक्षा के बाद यह दूसरा मौका था जब परीक्षा का आयोजन वृहद स्तर पर हुआ। इसका असर भी शहर में दिखा। बस स्टैंड और रेल्वे स्टेशन में परीक्षार्थियों की भीड़ नजर आई। 

पहली पाली की परीक्षा सुबह 10 बजे से थी, इसलिए परीक्षा देने के लिए दूरदराज के इलाकों से परीक्षार्थी एक दिन पूर्व आ गए थे। कई परीक्षार्थी परिचित या रिश्तेदार के यहां रुक गए। जिन परीक्षार्थियों के पास शहर में रुकने का यह विकल्प नहीं था, उन्होंने लॉज और हॉटल में कमरा बुक करा लिया था। आरक्षित वर्ग के परीक्षार्थियों को आने और जाने का यात्रा भत्ता भी दिया गया।

भूखे रहकर दी परीक्षा
परीक्षा आयोजन में पूरा ध्यान होने के कारण परीक्षार्थियाें को वह सुविधा नहीं मिल पाई जिसकी उन्हें अपेक्षा थी। इंजीनियरिंग कालेज मुख्य मार्ग से काफी अंदर होने के कारण पहली पाली की परीक्षा समाप्त होने के बाद खाने पीने के लिए परीक्षार्थियों को लंबा रास्ता तय करना पड़ा। 

इनमें पुरुष परीक्षार्थियों ने तो फिर भी विकल्प खोज लिया लेकिन परीक्षा में शामिल होने आई कई युवतियां और महिलाओं ने भूखे रहकर परीक्षा दी।

टीए-डीए से असंतुष्ट नजर आए
अधिकारी कहते रहे कि लोक सेवा आयोग के नियमानुसार यात्रा भत्ता दिया जा रहा है लेकिन एससी, एसटी व पिछड़ा वर्ग के परीक्षार्थियों को दिया प्रति किलोमीटर के हिसाब से 12 पैसे भुगतान की जाने वाली उन्हें राशि नहीं आई और उन्होंने अधिकारियों से इसकी नाराजगी भी जताई।

केंद्रों में जाने हुई मशक्कत
पहली पाली की परीक्षा सुबह 10 बजे होने के कारण दूरदराज के परीक्षा केंद्रों में जाने के लिए परीक्षार्थी हड़बड़ाहट में नजर आए। सकरी और मस्तूरी जैसे परीक्षाकेंद्रों में जाने के लिए जिसे जो साधन मिला वह उसी से रवाना हो गया जिससे वह समय पर पहुंच सके।

एक ही सेट के पेपर बांट दिए 
सीएमओ परीक्षा में भारतामाता हिंदी माध्यम स्कूल में बनाए गए केंद्र में एक कमरे में परीक्षक की लापरवाही की वजह से अभ्यर्थियों को एक ही सेट के प्रश्न पत्र बांट दिए गए। नियमानुसार अभ्यर्थियों को क्रमश:ए, बी, सी और डी सेट दिया जाना था। 

परीक्षक की लापरवाही की वजह से एक कतार में बैठे सभी परीक्षाíथयों को सी सेट बांट दिया गया। इस गलती की जानकारी मिलते ही परीक्षक ने सभी से ओआरएम शीट लौटाने को भी कहा, लेकिन परीक्षार्थियों द्वारा सभी जानकारियां भर लेने के कारण यह संभव नहीं हो सका। इस कारण परीक्षार्थी पेपर निरस्त होने की आशंका से भी परेशान रहे(दैनिक भास्कर,बिलासपुर,13.12.2010)।

मॉडल स्कूलों की स्थापना का पेंच
प्रदेश में मॉडल स्कूलों की स्थापना को लेकर हो रही देरी पर स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव एमके राउत ने अफसरों पर नाराजगी जताई है। सोमवार को सुबह 11 बजे मंत्रालय में हुई समीक्षा बैठक में श्री राउत ने कहा कि मॉडल स्कूलों की स्थापना में किसी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा योजना के तहत प्रदेश में 70 मॉडल स्कूल बनाए जाएंगे।

हुई कई बातों पर चर्चा
बैठक में आरएमईवाई के तहत प्रदेश में हाईस्कूलों का विकास करना है। बैठक में हाईस्कूल भवनों के निर्माण पर भी चर्चा हुई। प्रमुख सचिव श्री राउत ने प्रदेश में हाईस्कूलों की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने भवनविहीन स्कूलों के लिए प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए। आरएमईवाई के तहत हाईस्कूल भवनों के लिए काफी बजट है। स्कूल शिक्षा विभाग संभालने के बाद श्री राउत ने इस योजना की पहली बैठक ली। सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के लिए भवन बन चुके हैं। इसमें हुई अनियमितता की शिकायतों को देखते हुए श्री राउत ने मिडिल स्कूलों के निर्माण के लिए एजेंसी तय करने की बात कही।

चार लाख छात्र हैं प्रदेश में: प्रदेश में पांच हजार से अधिक हाईस्कूल हैं। इनमें लगभग पांच हजार छात्र पढ़ते हैं। दसवीं और बारहवीं कक्षा में सवा दो लाख छात्र इस साल शामिल हो रहे हैं। प्रमुख सचिव श्री राउत ने परीक्षा के नतीजों को लेकर भी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि इस साल परीक्षा के नतीजे अच्छे आने चाहिए। इसके लिए अभी से स्कूलों में निर्देश जारी किए जाएं(दैनिक भास्कर,रायपुर,13.12.2010)।

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