इंदिरा गांधी नहर परियोजना में उन्हीं पदों को समाप्त किया जाएगा, जिनकी फिलहाल कोई जरूरत नहीं है। नहर बोर्ड ने मुख्यमंत्री सचिवालय को इस संबंध में रिपोर्ट भेज दी है। उधर, सकारात्मक आश्वासन के बाद इंदिरा गांधी नहर कर्मियों का ढाई दिन से चल रहा आंदोलन गुरूवार दोपहर स्थगित हो गया।
नहर बोर्ड के चैयरमेन दामोदर शर्मा ने 'पत्रिका' को बताया कि राज्य सरकार को भेजे गए प्रस्ताव पर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। नहर मंत्री और प्रमुख शासन सचिव के जयपुर पहुंचने पर ही इस बारे में निर्णय होगा। नहर बोर्ड के उन पदों को समाप्त किया जा रहा है, जिनकी वर्तमान में जरूरत नहीं है। ऎसे पदों की समीक्षा की जा रही हैं। वैसे भी कर्मचारियों को पद समाप्त होने से अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं है। सभी कर्मचारियों व अभियंताओं को जल संसाधन या सिंचित क्षेत्र विकास विभाग में जरूरत के हिसाब से पदस्थापित कर दिया जाएगा।
नहर के नहीं हैं अभियंता
शर्मा ने बताया कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना में काम कर रहे सभी अभियंता जल संसाधन विभाग से जुड़े हैं। अभियंताओं को तो राज्यभर में कहीं भी लगाया जा सकता है।
नए काम के लिए जरूरत
चैयरमेन ने कहा कि राज्य सरकार ने ही नहरी क्षेत्र में विभिन्न नए कार्यो के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजे हैं। ऎसे में सभी पदों को समाप्त नहीं किया जा सकता। तमाम जरूरतों के बाद भी जो पद उपयोगी नहीं होंगे, उन्हें समाप्त कर दिया जाएगा। नहर संचालन के लिए जरूरी पदों को समाप्त नहीं किया जाएगा।
कर्मचारियों ने शुरू किया काम
नहर बोर्ड चैयरमेन ने आंदोलन कर रहे कर्मचारी नेताओं से फोन पर बातचीत करके पद समाप्त नहीं करने का आश्वासन दिया। संघर्ष समिति के संयोजक भंवर पुरोहित ने बताया कि इस संबंध में बोर्ड ने मुख्यमंत्री सचिवालय को पत्र भेज दिया है। नहर बोर्ड कर्मचारियों ने गुरूवार सुबह प्रशासनिक मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री का पुतला जलाया। पद समाप्त करने के विरोध में नारे लगाए गए(राजस्थान पत्रिका,बीकानेर,10.12.2010)।
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