21वीं सदी का पहला दशक स्कूली शिक्षा के स्तर पर नई सोच और बदलावों के नाम रहा। इस दशक में दसवीं में 20 फीसदी आंतरिक मूल्यांकन को जगह मिली। वहीं दसवीं से बोर्ड को वैक्लपिक भी इस दशक में बनाया गया। शिक्षा से वंचित बच्चों को स्कूल की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए आरटीई एक्ट-09 का लागू होना एक महत्वपूर्ण कदम रहा। इस एक्ट के जरिए 6 साल से 14 साल तक के बच्चों के लिए शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया। इसी के तहत पहली बार आर्थिक पिछड़े वर्ग के लिए स्कूली स्तर पर 25 फीसदी कोटे की व्यवस्था की गई। स्कूली स्तर पर फिर वह चाहे सीबीएसई हो या एनसीईआरटी या फिर सरकारी स्कूल अपने-अपने स्तर पर सभी ने कुछ बड़ी उपलब्धियां हासिल की।
सीबीएसई ने क्या किए बदलाव
1. राष्ट्रीय स्तर पर इंजीनियरिंग के लिए एआईईईई की शुरुआत
2. वर्ष 2011 में एआईईईई आनलाइन होगा
3. पहली से पांचवीं तक, छठी से आठवीं में सतत समग्र मूल्यांकन
4. सफलता के बाद नौंवी-दसवीं में सीसीई लागू
5. दसवीं बोर्ड को समाप्त कर वैक्लपिक किया गया
6. इंर्फोमेशन टेक्नॉलॉजी और फाइनेंशल मार्केट मैनेजमेंट सरीखे कोर्स शुरू
7. 10वीं बोर्ड के लिए गणित और साइंस में आंतरिक मूल्यांकन प्रणाली लागू
8. 11वीं के लिए एसजीएआई और प्रोफिशेंसी टेस्ट की शुरुआत
9. प्रश्न पत्रों में हाई ऑर्डर थिकिंग स्किल पैटर्न को स्वीकारा गया
10. वर्ष 1962 में मात्र 309 स्कूल बोर्ड से संबद्ध थे अब संख्या 10836 पहुंची
11. विदेशी स्कूलों से इंटरनेशल बोर्ड की शुरुआत
12. छठी से चीनी भाषा को स्कूली स्तर पर शुरू करना
13. स्कूलों में गणित लैब व हेल्थ क्लब को स्थापित करवाना
एनसीईआरटी ने क्या किए बदलाव
1. काफी सालों के बाद वर्ष 2003-04 में एक साथ स्कूली स्तर के पाठ्यक्रम में बदलाव
2. वर्ष 2005 राष्ट्रीय करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) को लागू करना
3. एनसीएफ से शिक्षा को रचनात्मक बना बस्ते का बोझ कम किया गया
4. वर्ष 2007-09 तक तीन चरणों में सभी कक्षाओं के पाठ्यक्रम में एनसीएफ के आधार पर बदलाव
5. एनसीएफ के जरिए स्कूलों को परीक्षा में फेल शब्द का उपयोग न करने की सिफारिश
6. पहली से दसवीं तक स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा कोर्स के लिए योग शिक्षा को अनिवार्य बनाते हुए पाठ्यक्रम तैयार करना।
7. नौंवी कक्षा से बच्चों के लिए ऑडियो पुस्तकों को तैयार करना
8. बीएड प्रोग्राम को जल्द ही नए कलेवर में लाने की तैयारी
9. स्कूलों को साइंस लैब के रुप में पोर्टेल लैब का दिया विकल्प
शिक्षा विभाग
1. सरकारी स्कूलों के बोर्ड रिजल्ट में 18 फीसदी की बढ़ोतरी
2. वर्ष 2000-01 में रिजल्ट प्रतिशत 70.20, 2010 में 88.87 फीसदी पहुंचा
3. सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या वर्ष 2010 तक लगभग 30 लाख पहुंची
4. स्कूलों में शाम की पाली की शुरुआत करने से बच्चों की संख्या में इजाफा
5. नर्सरी दाखिले में गरीब कोटे के तहत 25 फीसदी आरक्षण देना
6. स्कूलों में स्पोर्ट्स गतिविधियों को बढ़ावा देना
7. चलते-फिरते स्कूल के जरिए शिक्षा से वंचित बच्चों को स्कूलों से जोड़ा गया
8. इंडस्ट्री के सहयोग से बच्चों के लिए सीखो और कमाओ योजना को शुरू करना
9. कामनवेल्थ गेम्स के बहाने खेल सुविधाएं की गई चकाचक
10. निदेशालय ने खेल सुविधाओं के लिए लैगेसी प्लॉन ऑफ कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 तैयार किया
11. नर्सरी दाखिले के तहत गांगुली कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए प्वाइंट सिस्टम को मंजूरी
12. छठे वेतन आयोग के लागू होते ही स्कूली शिक्षकों की आय में बेहताशा वृद्धि
13. सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ब्रिटिश काउंसिल के सहयोग से अंग्रेजी में पारंगत बनाना
नए साल में स्कूली शिक्षा में चुनौतियां
1. सीसीई को सफल बनाना रहेगी बोर्ड की चुनौती
2. अन्य कोर्सेज की तरह इंफारमेशन टेक्नोलॉजी व एफएमएम कोर्स को मुकाम दिलाना
3. ऑनलाइन एआईईईई को सफल बनाना
4. 11वीं में भी सीसीई को लागू कर सफल बनाना
5. नर्सरी दाखिला दिल्ली सरकार और स्कूलों के सामने चुनौती
6. आर्थिक पिछड़े वर्ग को दाखिले में 25 फीसदी आरक्षण के जरिए दाखिला मिले
7. स्कूली शिक्षा में बेहताशा हो रही फीस बढ़ोतरी पर लगाम लगाना
8. आरटीई एक्ट का पालन स्कूल करें, सरकार को रखना होगा ध्यान(अमर उजाला,दिल्ली,31.12.2010)
नववर्ष 2011 आपको मंगलमय हो!
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