शहर की मलिन बस्तियों में प्रस्तावित आंगनबाड़ी केंद्रों को अब गांवों में खोला जाएगा। मलिन बस्तियों में पर्याप्त आबादी नहीं मिलने के कारण उन्हें गांवों के लिए प्रस्तावित कर दिया गया था। जिले के १५ ब्लाकों में १४० आंगनबाड़ी केंद्र खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। जिन गांवों का नाम प्रस्तावित किया गया था शासन से उसकी अनुमति मिल गई है।
गांवों में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना पहले एक हजार की आबादी पर की गई थी। जब यह लगने लगा कि इतनी आबादी के लिए केंद्र पर्याप्त नहीं हैं तो पांच सौ से आठ सौ कि आबादी पर केंद्रों की स्थापना की जाने लगी। शहर की मलिन बस्ती में आंगनबाड़ी केंद्र खोलने को जब शासन से कहा गया तो विभाग ने उसकी अपने स्तर से जांच करवायी। उसे पर्याप्त आबादी नहीं मिलने के कारण उसे ग्रामीण क्षेत्रों में करने की शासन से अनुमति मांगी। शासन ने इसके लिए अनुमति दे दी है। अनुमति मिलने के बाद अब आरक्षण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। किस गांव में किस जाति की आंगनबाड़ी और किस जाति की सहायिका होगी पहले इसका आरक्षण किया जाएगा।
आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद बाल विकास परियोजना अधिकारी की तरफ से विज्ञापन निकाला जाएगा। चयन में विधवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। आंगनबाड़ी कार्यकत्री की योग्यता कम से कम हाईस्कूल होगी। यदि किसी केंद्र के लिए कोई विधवा नहीं है तो वहां हाईस्कूल और इंटर का अंक मिलाने के बाद जिसकी मेरिट ज्यादा होगी उसे वरीयता दी जाएगी। इसी प्रकार सहायिका के लिए भी यदि विधवा है तो उसे प्राथमिकता दी जाएगी। उसकी योग्यता कम से कम ५ पास होनी चाहिए। यदि कोई विधवा नहीं है तो मेरिट के आधार पर सहायिका का चयन किया जाएगा।
जिन ब्लाकों में आंगनबाड़ी केंद्र खोले जाने हैं उन ब्लाकों के नाम और उनकी संख्या इस प्रकार है। सबसे अधिक चरगांवां में १९, बड़हलगंज में १०, पिपराइच में १४, उरुवां में ६, सहजनवां में ९, गगहा में ६, ब्रह्मपुर में १२, सरदारनगर में १४, गोला में ३, खजनी में ८, जंगल कौड़िया में ६, भटहट में ७, पिपरौली में ९, कैम्पियरगंज में १ खोराबार में १६ केंद्र खोले जाएंगे(अमर उजाला,देहरादून,31.12.2010)।
नववर्ष 2011 आपको मंगलमय हो!
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