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11 दिसंबर 2010

उच्च शिक्षा में क्षमता विस्तार की जरूरत

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने रांची में कहा कि देश को आर्थिक विकास के मोर्चे पर आगे रहने के लिए उच्च शिक्षा में क्षमता विस्तार के साथ गुणवत्ता में सुधार करना होगा। उन्होंने देश के शैक्षणिक संस्थानों से दुनिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए वे वैश्विक स्तर के मानव संसाधनों का सृजन करने का आहवान किया। राष्ट्रपति रांची विश्वविद्यालय के 25वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने यहां के टॉपर छात्र-छात्राओं को मेडल पहनाकर सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने भारत में उच्च्च शिक्षा में नामांकन दर च्च्छी नहीं होने पर खेद जताया और कहा कि 2020 तक संपूर्ण नामांकन अनुपात को 20 फीसदी तक ले जाने के लिए कठिन प्रयास करने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक प्राथमिक शिक्षा और अशिक्षा को दूर करने के लिए हमारी राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को मैं शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण साझेदार मानती हूं। उन्होंने शिक्षण संस्थानों में रैगिंग के खतरे की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यह सर्वाधिक नुकसानदायक, आपराधिक और शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि संस्थानों को काफी सावधानी बरतनी चाहिए और इस पर अंकुश लगाना चाहिए। इससे संस्थान और हमारे देश दोनों का नाम खराब होता है। विश्वविद्यालय के बुनियादी विज्ञान भवन का उद्घाटन करने के बाद राष्ट्रपति ने काले एवं पीले रंग का स्कार्फ पहना और विश्वविद्यालय के 35 टॉपर्स को मेडल दिए। उन्होंने कहा कि मानव धन में निवेश किए बगैर कोई भी देश सतत आर्थिक विकास को हासिल नहीं कर सकता। सामाजिक सरोकारों से जुड़ने का आह्वान रांची : राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने रांची विश्वविद्यालय के 25वें दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को स्व- अनुशासन, समय प्रबंधन और एकाग्रता को आत्मसात कर ड्रग्स और रैगिंग से खुद को मुक्त रखने का आह्वान किया। छात्र-छात्राओं को स्वामी विवेकानंद का कथन याद दिलाते हुए कहा कि जितनी एकाग्रता होगी, ज्ञान उतना अधिक होगा। ज्ञान अर्जित करने का सिर्फ यही एक माध्यम है। इस मौके पर राष्ट्रपति ने डिग्री लेने वाले छात्र-छात्राओं को उनके सामाजिक सरोकारों की भी याद दिलाई। राष्ट्रपति का पूरा जोर सुशिक्षित समाज,नारी सशक्तिकरण और गरीबी उन्मूलन जैसे मुद्दों पर रहा। उन्होंने रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग को राष्ट्रीय संस्कृति और विरासत का संरक्षक बताया, जहां, मुंडारी, कुड़ुख, कुरमाली, नागपुरी, संथाली, खडि़या, पंचपरगनिया, खोरटा और हो जैसी भाषाओं में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री मिलती है। उन्होंने विश्वविद्यालयों को सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय साक्षरता मिशन में अपनी भूमिका निभाने का आह्वान किया(दैनिक जागरण,रांची, ११.12.2010)।

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