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26 दिसंबर 2010

डीयूःनए कोर्सों से स्टूडेंट्स को मिलेगा बेहतर प्लेसमेंट

डीयू में प्रो. दिनेश सिंह ने अक्टूबर के आखिर में जब वीसी का पद संभाला था, तो यूनिवर्सिटी में सेमेस्टर को लेकर हंगामा मचा था। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती इस विवाद को सुलझाकर स्टूडेंट्स की पढ़ाई के नुकसान की भरपाई करने की थी। सेमेस्टर विवाद हाई कोर्ट में था और कोर्ट के आदेश के बाद सेमेस्टर के हिसाब से पढ़ाई शुरू हो गई। डीयू के लिए नए वीसी का विजन क्या है? वह क्या बदलाव लाने वाले हैं? पेश है, ऐसे ही कुछ मुद्दों पर प्रो. दिनेश सिंह से भूपेंद्र की बातचीत :

डीयू के लिए आपका क्या विजन है?
यूनिवर्सिटी की पहचान उसके रिसर्च वर्क से होती है। सबसे जरूरी है, रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। डीयू में बेहतर रिसर्च वर्क हो रहा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। यूनिवर्सिटी से ऐसे एक्सपर्ट्स निकलें, जो देश को अपनी सेवाएं दे सकें। हम स्टूडेंट्स को रिसर्च करने के लिए बढ़ावा देंगे। यूनिवर्सिटी का माहौल ऐसा हो, जहां स्टूडेंट्स, टीचर्स, कर्मचारी सभी अपनी जिम्मेदारी मन से निभाएं। योग्य टीचर्स होने चाहिए ताकि वे स्टूडेंट्स को प्रोत्साहित कर सकें। इंडस्ट्री की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कोर्स तैयार किए जाएंगे।

सेमेस्टर पर क्या योजना है?
इस साल टीचर्स के विरोध के कारण साइंस के सिर्फ 13 कोर्सों में ही सेमेस्टर सिस्टम लागू हो पाया। उम्मीद है कि अगले साल जुलाई सेशन शुरू होने से पहले ग्रैजुएशन लेवल के सारे कोर्स सेमेस्टर के दायरे में होंगे। अगले साल ग्रैजुएशन के हर कोर्स में स्टूडेंट को सेमेस्टर सिस्टम में ही एडमिशन मिलेगा। बी. कॉम, बी. कॉम ऑनर्स, इकनॉमिक्स ऑनर्स, मैथ्स ऑनर्स, बीए, बीए ऑनर्स के सभी कोर्सों में सेमेस्टर वाइज सिलेबस तैयार करने का काम शुरू होना है। कोर्स यूनिवर्सिटी के नियमों के मुताबिक ही तैयार किए जाएंगे।

किस तरह के कोर्स बनाने की योजना है?

कोर्स ऐसे होने चाहिए, जिनसे कुछ खास विषयों की मजबूरी खत्म हो। मसलन : संस्कृत के स्टूडेंट्स मैथ्स पढ़ें, हिंदी के स्टूडेंट्स को भी इंग्लिश पढ़ने का विकल्प हो। हर कोर्स के स्टूडेंट को मैथ्स, इंग्लिश, कंप्यूटर पढ़ने का विकल्प मिलना चाहिए और नए सिलेबस में इस पर खास ध्यान दिया जाएगा। ग्रैजुएशन कर रहे स्टूडेंट्स को मैथ्स, इंग्लिश व कंप्यूटर की बेसिक जानकारियां जरूर होनी चाहिए। इससे रोजगार के अवसरों में इजाफा होता है। इकनॉमिक्स के स्टूडेंट के पास पॉलिटिकल साइंस पढ़ने का विकल्प हो और हिस्ट्री का स्टूडेंट मैथ्स पढ़ सके। डीयू इस दिशा में पहल करने जा रही है। 

पिछले वीसी ने टीचर्स के लिए हाजिरी नियम का सर्कुलर जारी किया था। क्या इस आदेश को जारी रखा जाएगा? 
इन मसलों पर यूजीसी गाइडलाइंस तैयार कर रही है। यूजीसी की ओर से जो भी दिशा-निदेर्श जारी होंगे, उनका पालन किया जाएगा। 

ई-लर्निंग प्रोजेक्ट को लेकर क्या योजना है? 
डीयू ने बहुत सारे कोर्सों में ई-लर्निंग मटीरियल तैयार कर लिया है। ई-क्विज, ई-लैब समेत कई विकल्प स्टूडेंट्स को दिए गए हैं। अब समय आ गया है, जब यूनिवर्सिटीज में ई-लर्निंग मटीरियल का महत्व बहुत ज्यादा होगा। डीयू अपने ई-लर्निंग प्रोजेक्ट को और आगे बढ़ाएगी। ओपन लर्निंग के स्टूडेंट्स के लिए भी ई-लर्निंग मटीरियल तैयार होगा। 

प्लेसमेंट प्रोजेक्ट पर आपका क्या कहना है? 
डीयू में बड़ी संख्या में कंपनियां आ रही हैं। हर साल कंपनियों की संख्या बढ़ रही है और स्टूडेंट्स को कैंपस प्लेसमेंट मिल रहा है, यहां तक कि कैंपस के बाहर के कॉलेजों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को भी प्लेसमेंट का मौका मिलने लगा है। अब जो नए कोर्स तैयार किए जा रहे हैं, उन्हें पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का प्लेसमेंट और बेहतर होगा। सेमेस्टर सिस्टम में यह प्रयोग करने का मौका मिलेगा। डीयू कई प्रोजेक्ट में इंडस्ट्री के साथ सहयोग करेगी। ओपन लर्निंग के स्टूडेंट्स को भी प्लेसमेंट मिल सकेगा।
(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,26.12.2010)

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