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17 दिसंबर 2010

क्रेन ऑपरेटर और बैकहो लोडर पाठ्यक्रम

देश में हो रहे तेज विकास और विभिन्न आपदाओं में क्रेनों की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण है, पर इन्हें ऑपरेट करने वाले प्रशिक्षित लोगों की संख्या उस हिसाब से काफी कम है। यही कारण है कि क्रेन ऑपरेटर और बैकहो लोडरों की मांग बढ़ी है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह कोर्स शुरू किया गया है।

कोर्स दिल्ली सरकार की सहायता से चलाया जा रहा है।
एससी, एसटी के लिए कोर्स मुफ्त में करवाया जाएगा।

क्रेन आज आम लोगों की जिंदगी से जुड़ गयी है। चाहे निर्माण से जुड़ा भारी-भरकम कार्य हो या मलबा हटाने का, आपदा के मौके पर जल्दी राहत पहुंचाना हो या कोई अन्य कार्य, क्रेन को इस काम में लगाया जाता है। इससे जुड़ा ऑपरेटर लोगों की तकलीफ दूर करने या निर्माण कार्य को कुशलतापूर्वक करने के लिए सूझबूझ और जोखिम के साथ इसमें जुट जाता है।

चौतरफा प्रगति के दौर में इस वाहन को चलाने के लिए देश में ऑपरेटरों की खासी कमी है। इसके लिए पूरी तरह दक्ष लोगों को तैयार करने के मकसद से ही एक कोर्स तैयार किया गया है। क्रेन ऑपरेटर और बैकहो लोडर के नाम से चलाया जा रहा यह कोर्स इस मायने में खास है कि यह सरकार के प्रयास से चलाया जा रहा है। दिल्ली सरकार की स्वीकृति और सहायता से स्वरोजगार को ध्यान में रख कर युवाओं को इसमें विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है।

कोर्स के लिए ओखला के फेज-2 स्थित दिल्ली इंस्टीटय़ूट ऑफ टूल इंजीनियरिंग में दाखिले की प्रक्रिया शुरू है। यहां 18 दिसम्बर तक आवेदन किया जा सकता है।

कोर्स में क्या है?
छात्रों के लिए हर दिन तीन घंटे की कक्षा होगी। एक माह की अवधि वाला यह कोर्स थ्योरी और प्रैक्टिकल, दोनों से जुड़ा है। इसमें क्रेन के पार्ट की जानकारी, इसे ऑपरेट करने और इसके अन्य फंक्शन के बारे में बताया जाएगा। क्रेन की वजन उठाने की क्षमता कितनी है, किस स्थिति में सामान उठाने की डिग्री कैसी होनी चाहिए, खुदाई किस लेवल की करनी चाहिए, ये बातें किताबी और प्रैक्टिकल, दोनों रूपों में बताई जाएगी। संस्थान ने प्रैक्टिकल जानकारी देने के लिए एस्कॉर्ट राइडर से दो मशीनें किराये पर ली हैं।


क्रेन से जब पीछे के हिस्से से सामान को उठाने या लादने का काम किया जाता है तो उसे बैकहो लोडर कहा जाता है। पीछे की इस पूरी कार्यप्रणाली के बारे में छात्रों को अलग से बताया जाता है।


विशेषज्ञों की मानें तो यह कोर्स दिल्ली सरकार की सहायता से चलाया जा रहा है। यह पहला ऐसा संस्थान है, जो छात्रों को सरकारी मान्यताप्राप्त सर्टिफिकेट प्रदान करता है। इसे दिल्ली सरकार के उद्योग विभाग ने मान्यता प्रदान की है। कोर्स को क्रेन बनाने वाले संस्थान एस्कॉर्ट का भी सहयोग प्राप्त है। निजी संस्थान भी अब इस कोर्स को कराने लगे हैं।

दाखिले की प्रक्रिया
आवेदन के बाद छात्रों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दाखिला दिया जाएगा। दोनों कोर्स में कुल सीटें 25-25 हैं। अगर छात्रों की संख्या ज्यादा हुई तो इसे दो बैच में विभाजित कर दिया जाएगा और दोपहर बाद यानी 2 से 5 बजे तक कक्षाएं कराई जाएंगी। दाखिले के लिए न्यूनतम योग्यता 8वीं पास है। आवेदन ओखला स्थित संस्थान के अलावा वजीराबाद, झंडेवालान और नंदनगरी सेंटर पर भी किया जा सकता है। इन जगहों पर सोसायटी फॉर सेल्फ एम्प्लॉयमेंट से जुड़े संस्थानों में इस कोर्स में दाखिला दिया जाएगा। हालांकि इस कोर्स की कक्षाएं ओखला फेज टू में ही कराई जाती हैं।

फीस
दाखिले के बाद सामान्य छात्रों के लिए फीस 2500 रुपये रखी गई है। अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए यह कोर्स मुफ्त है।

काम के अवसर और वेतन
आज शहर से लेकर महानगर और निजी संस्थान से लेकर सरकारी क्षेत्र, हर जगह क्रेन ऑपरेटरों की जरूरत है। सर्टिफिकेट हासिल करने के बाद शुरुआती तौर पर वेतन 10 हजार है, लेकिन छह माह के अनुभव के बाद यह तनख्वाह 15 से 20 हजार तक पहुंच जाती है। विदेश में एक क्रेन ऑपरेटर की हर माह कमाई लाख से ऊपर है। इससे जुड़े ऑपरेटरों की विदेशों में भी मांग है(प्रियंका कुमारी,हिंदुस्तान,दिल्ली,15.12.2010)।

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