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17 दिसंबर 2010

सांख्यिकी में करिअर

अर्थव्यवस्था की चमक से सांख्यिकी यानी स्टेटिस्टिक्स पढ़ने वालों की किस्मत का पिटारा खुल गया है। अर्थव्यवस्था की मजबूती से सांख्यिकी की मांग बढ़ गई है। चाहे मार्केटिंग रिसर्च हो या सोशल रिसर्च या हो ओपीनियन रिसर्च, हर जगह सांख्यिकी की जरूरत बढ़ गई है। मार्केटिंग का मूड जानने या लोगों की नब्ज पकड़ने में सांख्यिकी का जबरदस्त इस्तेमाल होता है।

हाल में हुए बिहार चुनाव में ओपीनिन पोल और एक्जिट पोल द्वारा पहले ही प्रिडिक्ट कर दिया गया कि जेडीयू-बीजेपी जीत रही है और किसको कितनी सीटें मिलेंगी, इसका भी अनुमान लगाया गया। एनडीए की जीत हुई और नंबर भी कमोबेश अनुमान के करीब ही रहा। ये सब सांख्यिकी का ही कमाल था। सांख्यिकी पर अच्छी पकड़ हो तो अनुमान लगाना आसान हो जाता है। ओपीनियन पोल और एक्जिट पोल में ही नहीं, बल्कि मार्केट बिहेवियर, बिजनेस ट्रेंड और डेमोग्राफिक पैटर्न को जानने-परखने में सांख्यिकी का इस्तेमाल होता है। बीस साल बाद एलपीजी की मांग देश में कितनी होगी, गाड़ियों की मांग कितनी होगी, यही नहीं टूथ पेस्ट से लेकर टीवी और मोबाइलों की मांग कितनी होगी, ये बीस साल पहले जाना जा सकता है। सरकार भी बड़े-बड़े प्लान सांख्यिकी के आधार पर बनाती है। आगे किस चीज की मांग बढ़ने वाली है, उसी आधार पर प्लानिंग भी की जाती है। किस क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ रही है या घट रही है, शराबबंदी से अपराधों में कमी हुई या नहीं, इन सारे सवालों का जवाब सांख्यिकी से मिलता है।

अमेरिका जैसे देशों में रिसर्च पर काफी पैसा खर्च किया जाता है। धीरे-धीरे भारत में भी रिसर्च का स्कोप बढ़ता जा रहा है। स्कोप बढ़ने से नौकरियां भी बढ़ती जा रही हैं। यही वजह है कि सांख्यिकी की पढ़ाई छात्रों को काफी लुभा रही है। जिसकी जितनी पकड़ है, वह उतनी कमाई कर रहा है।

काम के अवसर
सांख्यिकी की पढ़ाई स्कूल से शुरू हो जाती है। मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वालों को सांख्यिकी संजीवनी की तरह है तो ज्योग्राफी से लेकर इकोनॉमिक्स में भी इसकी पढ़ाई होती है। सिर्फ सांख्यिकी में भी करियर बनाया जा सकता है। कई क्षेत्र हैं, जहां स्टेटिस्टियन की नियुक्ति होती है। सेंसस यानी जनगणना के कार्य में स्टेटिस्टियन की काफी जरूरत होती है। चुनाव आयोग में इसकी नियुक्ति होती है। मैनेजमेंट से लेकर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में सांख्यिकी का इस्तेमाल किया जाता है। सोशल रिसर्च, ओपीनियन रिसर्च, मार्केटिंग रिसर्च, टीवी रेटिंग, अर्थशास्त्र, समाज विज्ञान और वाणिज्य के क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जाता है।

सांख्यिकी का कोर्स करने के बाद डाटा एंटरप्रेटर, स्टेटिस्टियन, डाटा एनालिस्ट आदि के रूप में काम करने के मौके मिलते हैं। यही नहीं, सांख्यिकी में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद विभिन्न इंस्टीटय़ूट में टीचिंग करने के मौके भी मिलते हैं। सांख्यिकी में पकड़ हो और रिसर्च फील्ड और मार्केटिंग फील्ड में काम करने का मौका मिले तो सोने में सुहागा हो जाता है। देश से विदेश तक काम करने का मौका मिलता है।


सरकारी नौकरी के लिए संघ लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग में भी विकल्प खुले हुए हैं। इंडियन स्टेटिस्टिकल सर्विस के माध्यम से करियर को और बेहतर दिशा दी जा सकती है। इसके अलावा योजना आयोग, दि नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च आदि के अतिरिक्त बैंकों में भी जॉब के अवसर मिलते हैं। किसी भी क्षेत्र में नीति निर्माण अथवा निर्णय लेने में इनकी मुख्य भूमिका होती है। कंप्यूटर आ जाने से सांख्यिकी के समझने और बूझने में आसानी हो गयी है। सॉफ्टवेयर की वजह से चंद मिनटों में जटिल से जटिल डाटा का विश्लेषण किया जाता है। शिक्षा, कृषि, बिजनेस के क्षेत्रों में भी सांख्यिकी जानकारों की काफी मांग है। इसके अलावा सैंपल और डाटा कलेक्शन, सर्वे कार्य, बाजार के नए ट्रेंड और बिजनेस मॉडल को बनाने में भी इनकी जरूरत होती है।

कोर्स और संस्थान
सांख्यिकी में ग्रेजुएशन से लेकर रिसर्च तक कई तरह के पाठय़क्रम उपलब्ध हैं, जैसे बीएससी ऑनर्स, बीएससी अप्लाइड स्टेटिस्टिक्स, एमएससी इन स्टेटिस्टिक्स, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन अप्लाइड स्टेटिस्टिक्स, पीजी डिप्लोमा इन स्टेटिस्टिक्स, सर्टिफिकेट कोर्स इन फाइनेंशियल स्टेटिस्टिक्स, बैचलर ऑफ स्टेटिस्टिक्स, मास्टर ऑफ स्टेटिस्टिक्स आदि। देश में 60 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में सांख्यिकी के कोर्स हैं। इंडियन स्टेटिस्टिकल इंस्टीटय़ूट सबसे बेहतर संस्थान है। हेडक्वार्टर कोलकाता है, लेकिन इसका कैम्पस दिल्ली, बैंगलोर और चेन्नई में है। इसके अलावा 7 जगहों पर इसके ऑफिस हैं। इसके अलावा कई यूनिवर्सिटीज में इसकी पढ़ाई होती है।

कितना पैसा मिलता है
जितनी पकड़ होती है, उतना पैसा मिलता है। स्नातक स्तर पर पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए निजी कंपनियों में ढाई से पांच लाख रुपये तक सालाना का ऑफर मिलता है। एमएससी की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों के लिए ज्यादा पैसा मिलता है। मार्केटिंग में जाने पर 10 लाख तक सालाना पैकेज मिलता है। चुनाव विश्लेषक बन गये तो पैसे के साथ शोहरत भी मिलती है। सरकारी नौकरी में भी अब अच्छा-खासा पैसा मिलता है(धर्मेंद्र कुमार सिंह,हिंदुस्तान,दिल्ली,15.12.2010)।

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