लखनऊ विश्वविद्यालय की सेमेस्टर परीक्षाओं में शनिवार को एमबीए का पेपर लीक हो गया। इसकी भनक लगते ही परीक्षा विभाग के गोपनीय सेल के अधिकारियों ने आनन-फानन पेपर का सेट बदल दिया। कक्ष निरीक्षण के लिए आये शिक्षक को पैकेट खुला मिला और इसमें एक प्रश्नपत्र भी कम मिले थे। कक्ष निरीक्षण कर रहे संस्थान के लिए एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने इसकी रिपोर्ट परीक्षा प्रभारी डा. संजय मधावी को दी। इसके बाद सभी सेट के पेपर की गिनती की गयी। हर सेट में दस-दस प्रश्नपत्र रखकर सील किये गये थे, लेकिन एक सेट में सिर्फ नौ पेपर ही मिले और उसकी सील पर भी लोगों को शक हुआ। एमबीए की सेमेस्टर परीक्षाओं में शनिवार को इन्वायरमेंटल मैनेजमेंट की परीक्षा होनी थी। इसके लिए कक्ष निरीक्षकों को जब सुपरिटेंडेन्ट डा. मधावी से पेपर के सेट मिले, डा. नीरज कुमार ने पैकेट के खुले होने की शिकायत दर्ज करायी। इसकी सूचना परीक्षा नियंत्रक प्रो. यशवीर त्यागी और फिर गोपनीय सेल को दी गयी। सेल ने मौके पर पहुंचकर कम पेपर वाले पैकेट को कब्जे में ले लिया और परीक्षा कराने के लिए दूसरा सेट दे दिया गया। इसके चलते करीब 30 मिनट देरी से सेमेस्टर परीक्षाएं शुरू हो पायीं। उधर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो. यशवीर त्यागी ने कहा कि शिकायत जरूर आयी थी, लेकिन पेपर लीक होने के न तो कोई सुबूत मिले और न ही किसी स्तर पर क्लेम किया गया, ऐसे में परीक्षा रद करने का सवाल ही नहीं उठता है। वहीं विश्वविद्यालय के सूत्रों का कहना है कि एमबीए की परीक्षा में एक वरिष्ठ शिक्षक के करीबी शामिल हुए है, इसी वजह से विश्वविद्यालय प्रशासन पूरे मामले की लीपापोती कर रहा है और पेपर लीक को सिरे से खारिज करने पर आमादा है(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,5.12.2010)।
दैनिक जागरण की खबर:
लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रशासनिक लापरवाही का एक और नमूना सामने आया है। शनिवार को एमबीए का बिना सील पैक प्रश्नपत्र बांटने को दिया गया। मुख्य निरीक्षक ने आपत्ति की तो प्रश्नपत्रों की गिनती हुई। दो बंडलों में एक-एक पेपर कम निकला। बंडल की सील टूटी होने और एक-एक पेपर कम होने से प्रश्नपत्र पहले ही अराजकतत्वों के हाथ पहुंचने का शक पुख्ता हो गया। हालांकि लविवि प्रशासन ने इस संभावना को दरकिनार करते हुए उसी प्रश्नपत्र से परीक्षा कराई। शनिवार को लविवि में एमबीए प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थियों की पर्यावरण और प्रबंधन विषय की परीक्षा थी। परीक्षा एक बजे से शुरू होनी थी। कक्ष संख्या 215 में बांटने के लिए छह प्रश्नपत्र के बंडल भेजे गए थे, जिनपर सील नहीं लगी थी। मुख्य निरीक्षक डॉ. नीरज कुमार ने बंडल खुले होने पर आपत्ति जता दी और परीक्षा न कराने की बात कही। बाद में प्रश्नपत्रों की गिनती की गई तो दो बंडलों में एक-एक पेपर कम निकला। डॉ. नीरज ने परीक्षा कराने से मना कर दिया। इस पर लविवि प्रशासन ने हस्तक्षेप किया और लिखित रूप से निर्देश दिया कि इन्हीं प्रश्नपत्रों से परीक्षा कराई जाए। आखिर में तकरीबन एक घंटे देरी से 1:48 मिनट पर परीक्षा शुरू हो सकी। शिक्षकों ने पेपर रद करने की मांग की है। उधर परीक्षा नियंत्रक प्रो.यशवीर त्यागी का कहना है कि पेपर के लिफाफे के साथ छेड़छाड़ की गई है। कक्ष निरीक्षक ने लिफाफा रिसीव करने के बाद शिकायत की है। उनकी भूमिका भी संदिग्ध लग रही है। पेपर आउट होने जैसी कोई बात नहीं है और न ही पेपर दोबारा कराने पर विचार किया जा रहा है। मामले की जांच की जा रही है।
दैनिक जागरण की खबर:
लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रशासनिक लापरवाही का एक और नमूना सामने आया है। शनिवार को एमबीए का बिना सील पैक प्रश्नपत्र बांटने को दिया गया। मुख्य निरीक्षक ने आपत्ति की तो प्रश्नपत्रों की गिनती हुई। दो बंडलों में एक-एक पेपर कम निकला। बंडल की सील टूटी होने और एक-एक पेपर कम होने से प्रश्नपत्र पहले ही अराजकतत्वों के हाथ पहुंचने का शक पुख्ता हो गया। हालांकि लविवि प्रशासन ने इस संभावना को दरकिनार करते हुए उसी प्रश्नपत्र से परीक्षा कराई। शनिवार को लविवि में एमबीए प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थियों की पर्यावरण और प्रबंधन विषय की परीक्षा थी। परीक्षा एक बजे से शुरू होनी थी। कक्ष संख्या 215 में बांटने के लिए छह प्रश्नपत्र के बंडल भेजे गए थे, जिनपर सील नहीं लगी थी। मुख्य निरीक्षक डॉ. नीरज कुमार ने बंडल खुले होने पर आपत्ति जता दी और परीक्षा न कराने की बात कही। बाद में प्रश्नपत्रों की गिनती की गई तो दो बंडलों में एक-एक पेपर कम निकला। डॉ. नीरज ने परीक्षा कराने से मना कर दिया। इस पर लविवि प्रशासन ने हस्तक्षेप किया और लिखित रूप से निर्देश दिया कि इन्हीं प्रश्नपत्रों से परीक्षा कराई जाए। आखिर में तकरीबन एक घंटे देरी से 1:48 मिनट पर परीक्षा शुरू हो सकी। शिक्षकों ने पेपर रद करने की मांग की है। उधर परीक्षा नियंत्रक प्रो.यशवीर त्यागी का कहना है कि पेपर के लिफाफे के साथ छेड़छाड़ की गई है। कक्ष निरीक्षक ने लिफाफा रिसीव करने के बाद शिकायत की है। उनकी भूमिका भी संदिग्ध लग रही है। पेपर आउट होने जैसी कोई बात नहीं है और न ही पेपर दोबारा कराने पर विचार किया जा रहा है। मामले की जांच की जा रही है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।