राजस्थान हाईकोर्ट ने आरक्षण सम्बन्धी मामला पूरी तरह राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के हवाले कर दिया है। साथ ही, आरक्षण को जरूरतमंदों का सहारा मानते हुए कहा कि आरक्षण को पैसे वाले नहीं हथिया पाएं, आरक्षण देते समय सरकार इस बात का ध्यान रखे। महाघिवक्ता जी.एस. बाफना के अनुसार न्यायालय ने 50 फीसदी से अघिक आरक्षण पर रोक जारी रखी है, इसलिए आरक्षण के बारे में नए सिरे से निर्णय होने तक एसबीसी का एक फीसदी आरक्षण जारी रहेगा।
उधर,गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद विभिन्न संस्थाओं ने भी आरक्षण की आवाज उठाना शुरू कर दिया है। आरक्षण को लेकर अलग-अलग संगठनों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
अखिल भारतीय गुर्जर आरक्षण संघष्ाü समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामवीर सिंह विधुड़ी ने 27 दिसंबर को दोपहर 12 बजे मुख्यमंत्री कार्यालय पर गुर्जर समाज की मांग के समर्थन में आमरण अनशन पर बैठने का ऎलान किया है। विधुड़ी ने आरक्षण की मांग को लेकर दावा किया है कि हजारों गुर्जर पंच पटेल राज्य में पिछड़ा वर्ग के लिए 21 फीसदी आरक्षण में से पांच फीसदी आरक्षण सरकारी नौकरियों में गुर्जर, गाडिया लुहार, बंजारा व रेबारी को देने को लेकर अनशन पर बैठेंगे। विधुड़ी ने आंदोलन के समय के गिरफ्तार गुर्जरों को रिहा करने व मुकदमें वापस लेने समेत पांच सूत्रीय मांग की है।
राजस्थान ब्राह्मण महासभा की ओर से शुक्रवार को आपात बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में सरकार की ओर से ब्राह्मण व सवर्णो को 14 फीसदी आरक्षण देने बाबत बिल संसद में पेश करने की मांग की गई। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष महेश शर्मा ने बताया कि पूर्व सरकार की ओर से पेश बिल राज्यपाल के पास विचाराधीन है। शर्मा ने बताया कि राज्य में ब्राह्मण समाज की संख्या सबसे ज्यादा है और यही समाज सबसे ज्यादा उपेक्षित है।
अन्य पिछड़ा वर्ग मंच ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम एक ज्ञापन भेज कर संविधान व सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने और असमानता दूर करने के लिए दलितों के लिए प्रावधान करने की मांग की है। उन्होंने पिछड़ा वर्ग में शामिल गुर्जर समाज से अपील की है कि उन्हें जनसुविधाओं का ख्याल रखते हुए आंदोलन करना चाहिए। राष्ट्रीय राजमार्ग व रेल मार्ग पर बैठकर आम जनता को नुकसान पहुंचाना गैर लोकतांत्रिक है।
पीपुल्स वाईस ऑफ राजस्थान की ओर से गुर्जर समाज को आम सुविधाओं के साथ छेड़छाड़ नहीं करने और नुकसान नहीं पहुंचाने की सलाह दी है। अध्यक्ष गंगाराम प्रजापति ने कहा कि आरक्षण मांगना संवैधानिक अघिकार है। इसके लिए हम उनका समर्थन करते हैं, लेकिन देश की जनता की गाढ़ी कमाई से बनी संपत्तियों के नुकसान से सभी लोग गुर्जर समाज के विरोध में खड़े हो जाएंगे।(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,25.12.2010)।
उधर,गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद विभिन्न संस्थाओं ने भी आरक्षण की आवाज उठाना शुरू कर दिया है। आरक्षण को लेकर अलग-अलग संगठनों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
अखिल भारतीय गुर्जर आरक्षण संघष्ाü समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामवीर सिंह विधुड़ी ने 27 दिसंबर को दोपहर 12 बजे मुख्यमंत्री कार्यालय पर गुर्जर समाज की मांग के समर्थन में आमरण अनशन पर बैठने का ऎलान किया है। विधुड़ी ने आरक्षण की मांग को लेकर दावा किया है कि हजारों गुर्जर पंच पटेल राज्य में पिछड़ा वर्ग के लिए 21 फीसदी आरक्षण में से पांच फीसदी आरक्षण सरकारी नौकरियों में गुर्जर, गाडिया लुहार, बंजारा व रेबारी को देने को लेकर अनशन पर बैठेंगे। विधुड़ी ने आंदोलन के समय के गिरफ्तार गुर्जरों को रिहा करने व मुकदमें वापस लेने समेत पांच सूत्रीय मांग की है।
राजस्थान ब्राह्मण महासभा की ओर से शुक्रवार को आपात बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में सरकार की ओर से ब्राह्मण व सवर्णो को 14 फीसदी आरक्षण देने बाबत बिल संसद में पेश करने की मांग की गई। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष महेश शर्मा ने बताया कि पूर्व सरकार की ओर से पेश बिल राज्यपाल के पास विचाराधीन है। शर्मा ने बताया कि राज्य में ब्राह्मण समाज की संख्या सबसे ज्यादा है और यही समाज सबसे ज्यादा उपेक्षित है।
अन्य पिछड़ा वर्ग मंच ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम एक ज्ञापन भेज कर संविधान व सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने और असमानता दूर करने के लिए दलितों के लिए प्रावधान करने की मांग की है। उन्होंने पिछड़ा वर्ग में शामिल गुर्जर समाज से अपील की है कि उन्हें जनसुविधाओं का ख्याल रखते हुए आंदोलन करना चाहिए। राष्ट्रीय राजमार्ग व रेल मार्ग पर बैठकर आम जनता को नुकसान पहुंचाना गैर लोकतांत्रिक है।
पीपुल्स वाईस ऑफ राजस्थान की ओर से गुर्जर समाज को आम सुविधाओं के साथ छेड़छाड़ नहीं करने और नुकसान नहीं पहुंचाने की सलाह दी है। अध्यक्ष गंगाराम प्रजापति ने कहा कि आरक्षण मांगना संवैधानिक अघिकार है। इसके लिए हम उनका समर्थन करते हैं, लेकिन देश की जनता की गाढ़ी कमाई से बनी संपत्तियों के नुकसान से सभी लोग गुर्जर समाज के विरोध में खड़े हो जाएंगे।(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,25.12.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।