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17 दिसंबर 2010

दसवीं परीक्षा के लिए स्कूल ही पहली पसंद

दसवीं की परीक्षा को लेकर सीबीएसइ द्वारा दी गई वैकल्पिक सुविधाओं में छात्रों ने स्कूल को प्राथमिकता दी है। अधिकतर छात्रों ने मजबूरी में ही बोर्ड को चुना है, जिनके सामने यही एकमात्र विकल्प था। इस बार सीबीएसइ के तहत करीब दस लाख छात्र दसवीं की परीक्षा देंगे। इनमें से केवल तीन लाख छात्रों ने बोर्ड को चुना है। इनमें से करीब दो लाख छात्रों के सामने बोर्ड ही एकमात्र विकल्प था। सीबीएसइ ने वर्ष 2011 से दसवीं के बोर्ड के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की थी। इसमें व्यवस्था दी गई थी कि छात्र स्कूल या बोर्ड में से किसी एक का चयन कर सकते हैं। विकल्प चुनने का समय बुधवार की शाम पांच बजे खत्म हो गया। इसके बाद बोर्ड के समक्ष स्थिति साफ हो गई कि इस बार बोर्ड के कंधों पर केवल तीन लाख बच्चों की दसवीं की परीक्षा संचालित कराने की जिम्मेदारी है। हालांकि यह व्यवस्था 12वीं कक्षा तक वाले स्कूलों में ही थी। खास बात यह है कि दसवीं कक्षा तक वाले स्कूलों के छात्रों के लिए बोर्ड की परीक्षा ही एकमात्र विकल्प था क्योंकि 11वीं की पढ़ाई के लिए उन्हें दूसरे स्कूलों में जाना था। पूरे देश में सीबीएसइ के 10 हजार 97 स्कूलों में से करीब दस लाग छात्र इस बार बोर्ड की परीक्षा देंगे। इनमें से दो हजार स्कूल केवल दसवीं तक के हैं, जिनसे करीब दो लाख छात्र दसवीं की परीक्षा देंगे। इनके सामने बोर्ड की परीक्षा ही एकमात्र विकल्प था। सीबीएसइ के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि जो स्कूल केवल दसवीं तक हैं, वहां के बच्चे बोर्ड का ही पेपर देंगे। 12वीं तक वाले स्कूलों के 90 फीसदी छात्रों ने स्कूल की परीक्षा को ही विकल्प के तौर पर चुना है। उनका कहना है कि 12वीं वाले स्कूल में पढ़ने वाले केवल उन्हीं बच्चों ने बोर्ड का विकल्प चुना है जिन्हें दसवीं के बाद किसी और स्कूल या बोर्ड में दाखिला लेना था। उन्होंने बताया कि सतत समग्र मूल्यांकन के तहत ही इस बार स्कूल और बोर्ड दोनों समेटिव-2 की परीक्षा देंगे। अधिकारियों का कहना है कि इस बार बोर्ड पर बच्चों के भार में सात लाख की कमी आई गई है(विभूति कुमार रस्तोगी,दैनिक जागरण,दिल्ली,17.12.2010)।

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