हरियाणा में राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के पचपन फीसदी पद खाली हैं। प्रदेश के सोलह थानों में इकलौते अंबाला थाने में इंस्पेक्टर की तैनाती है, बाकी सभी जगह सब-इंस्पेक्टर कामकाज देख रहे हैं। सिपाहियों की कमी के कारण ही प्रदेश से विभिन्न राज्यों को जाने वाली तकरीबन 100 ट्रेनों में पुलिसकर्मियों की ड्यूटी ही नहीं लगाई जा रही है। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है । पुलिस महानिदेशक रंजीव सिंह दलाल ने भले ही थानों की कमान इंस्पेक्टरों को सौंपने के आदेश जारी कर रखें हैं, पर यहां इंस्पेक्टरों का टोटा है। बीस की जगह मात्र तीन इंस्पेक्टरों की नियुक्ति हुई हैं जिनमें से एक ने पुलिस लाइन और दूसरे ने रेलवे एसपी आफिस में कुर्सी संभाल रखी है। प्रदेश में जीआरपी थानों की बात करें तो कालका, कुरुक्षेत्र, जींद, रोहतक, पानीपत, करनाल, सोनीपत, हिसार, गुडग़ांव, रेवाड़ी, बहादुरगढ़, सिरसा, जगाधरी और फरीदाबाद में सब-इंस्पेक्टर ही इंस्पेक्टर का कार्यभार संभाले हैं। कमांडो से उधार पर लिए इंस्पेक्टर को चंडीगढ़ जीआरपी थाने की कमान संभाल सौंप रखी है, क्योंकि इस स्टेशन पर वीवीआईपी का दौरा रखता है। इसके अलावा अंबाला छावनी में भी इंस्पेक्टर ही कार्यरत हैं। रेल यात्रियों की हिफाजत करने वाले सिपाहियों की जीआरपी में भारी कमी है। यहां पर 1314 कांस्टेबलों के सापेक्ष 547 कांस्टेबल ही तैनात है। यहीं कारण है कि प्रदेश से विभिन्न राज्यों को दौड़ रही 97 रेलगाडि़यों में पुलिसकर्मियों की ड्यूटी ही नहीं लगाई जा रही है। जीआरपी के साढ़े तीन सौ कांस्टेबलों को विभिन्न जिलों में तैनात कर दिया गया है। स्टाफ की कमी को देखते हुए आईजी केके मिश्रा ने पुलिस मुख्यालय से पत्राचार कर कांस्टेबलों की वापसी के लिए सिफारिश की पर इसे नजरअंदाज कर दिया गया। यहां तक की आईजी ने डीजीपी को रिमाइंडर भेजे पर गौर नहीं किया गया। ऐसे में सेवा, सुरक्षा और सहयोग के नारे का खोखला गुणगान करने पर अधिकारियों की कार्यशैली पर ही सवाल उठने शुरू हो गए हैं। आईजी केके मिश्रा ने माना 350 कांस्टेबल जीआरपी के जिलों में भेज दिए गए जिनके लिए पुलिस मुख्यालय से पत्राचार किया गया पर कांस्टेबलों की अभी वापसी नहीं हुई(दीपक बहल,दैनिक जागरण,अंबाला,5.12.2010)।
Is samasya ka nidan jaroori hai.Achha hoga ise state govt. ke sath-sath MINISTRY OF RAILWAY KO bhi sapark kiya jaye.
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