बीएड में दाखिला लिया है और हाजिरी की चिंता सता रही है तो प्रदेशभर के कई निजी बीएड कॉलेज बांहें फैलाकर आपके स्वागत को बेताब हैं। पैसे भरने के बाद ना तो विद्यार्थियों को प्रेक्टिकल की चिंता और साथ ही साथ क्लास टेस्ट से भी विशेष छूट दी जाती है।
प्राइवेट रोजगार में लगे कई विद्यार्थी इस सुविधा का लाभ भी उठा रहे हैं। जिससे उन्हें कॉलेज जाने से मुक्ति मिल जाती है। इस तरह से विद्यार्थियों की कॉलेज न आने की कमी और क्लास टेस्ट न दे पाने का पूरा लाभ बीएड कॉलेज उठाने में जुटे हैं। इतना ही नहीं विद्यार्थियों का भी कॉलेज पहुंचने पर सबसे पहला सवाल यही होता है कि कक्षाएं ना लगाने का क्या हिसाब-किताब है। यह तस्वीर देश के भावी शिक्षकों की है जिनके कंधों पर बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी आएगी।
15 से 20 हजार का रेट
प्रदेश के विभिन्न निजी बीएड कॉलेजों में हाजिरी ना लगाने का रेट भी अलग-अलग है। विद्यार्थियों का कहना है कि कॉलेज प्रशासन 15 से 20 हजार के बीच ही मांगता है। इसके बाद बस फाइनल परीक्षाओं की तैयारी घर बैठे ही करो।
दूर-दराज क्षेत्र में हुए कॉलेज अलाट
प्रदेश के बाहर दिल्ली, यूपी, हिमाचल और चंडीगढ़ के अधिकतर विद्यार्थी इस तरह की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। दिल्ली की एक छात्रा ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि उसने गुड़गांव के एक कॉलेज में एडमिशन लिया है। जिसमें रोजाना जाना संभव नहीं हो पाता।
ऐसे में उसने कॉलेज के साथ 15 हजार में सेटिंग की है। जिसके बाद उसे हाजिरी से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं एक अन्य छात्रा ने बताया कि उसे हिसार का कॉलेज मिला है। अगर वह हिसार में भी रहे तो कम से कम सालभर का खर्च 35 से 40 हजार आएगा। दूसरा घर से दूर भी रहना पड़ेगा। ऐसे में 18 हजार रुपए में कॉलेज से सांठगांठ करनी पड़ी।
कैसे कसें नकेल?
केयू प्रशासन के सामने इन कॉलेजों पर विद्यार्थियों हाजिरी सुनिश्चित करवाने और नियमों को ना टूटने देने की चुनौती है। जिसका सामना आने वाले दिनों में प्रदेश की दोनों यूनिवर्सिटी को ढूंढना होगा। प्रदेश के बीएड दाखिलों की संयोजिका एवं केयू शिक्षा संकाय की डीन प्रो. सुषमा शर्मा ने बताया कि कॉलेजों पर नकेल कसी जानी चाहिए। इसके लिए नियमित रूप से कॉलेजों की चेकिंग होनी चाहिए(दैनिक भास्कर,कुरुक्षेत्र,25.12.2010)।
बिकती शिक्षा घटते मूल्य
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