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13 दिसंबर 2010

झारखंडःमिडिल स्कूल में ही छठी की पढ़ाई

प्रदेश के हाईस्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2011-12 से छठी कक्षा में छात्रों को प्रवेश नहीं मिलेगा। मानव संसाधन विकास (शिक्षा) विभाग ने अनिवार्य रूप से यह निर्णय लागू करने का निर्देश दिया है। सरकार का तर्क है कि इस व्यवस्था से न सिर्फ हाईस्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्था सुधरेगी, बल्कि मिडिल स्कूलों में छात्रों की संख्या में आ रही कमी को भी दूर किया जा सकेगा।

हाईस्कूलों की छठी कक्षा में नामांकन कराने वाले छात्रों के लिए एक ही स्कूल में 12वीं तक की पढ़ाई करने की सुविधा मिलती है। ये वैसे छात्र होते हैं जो प्राइमरी या अन्य स्कूलों से पांचवीं पास कर छठी में प्रवेश लेते हैं। अब ऐसे छात्रों को मिडिल स्कूल में पढ़ना होगा जिसे पूरा करके ही वे हाईस्कूल में जा सकेंगे।

मॉनिटरिंग नहीं हो पाती

स्कूलों में बच्चों का ठहराव हो, इसकी मॉनिटरिंग के लिए सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। एक ओर सरकार जहां प्राथमिक और हाई स्कूल में एकरूपता लानी चाहती है, वहीं सरकारी स्कूल के शिक्षकों को गैरशैक्षणिक कार्यो में लगा कर बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न कर रही है।

पाठ्यक्रम पूरा नहीं होता
वार्षिक कैलेंडर में तय पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाता है, जबकि इसके लिए झारखंड शिक्षा परियोजना एक नई योजना पर काम कर रही है, जिसके तहत वार्षिक कैलेंडर की जगह प्रत्येक महीने का कैलेंडर तैयार किया जाएगा। इसी के आधार पर बच्चों की पढ़ाने की योजना है।

यह है स्थिति 
प्रदेश के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की छठी कक्षा में पढ़ते हैं छह लाख विद्यार्थी, रांची में इनकी संख्या 43,766 है 

राज्य के हाईस्कूलों की छठी कक्षा में पढ़ते हैं 60 हजार विद्यार्थी, रांची में यह संख्या है-2000 

मिडिल स्कूल
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में पर्याप्त कमरे नहीं 

छात्रों के अनुपात में स्कूलों में शिक्षकों की है बेहद कमी 

स्कूलों में विज्ञान विषयक शिक्षकों की कमी भारी समस्या 

छठी कक्षा के लिए दूर-दराज जाने से बचते हैं विद्यार्थी(राजीव गोस्वामी,दैनिक भास्कर,रांची,13.12.2010)

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