राजस्थान उच्च न्यायालय ने आरएएस 2010 की प्रारंभिक परीक्षा में हुई गड़बड़ियों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए अब तक की प्रक्रिया को निरस्त करने लायक माना है।
न्यायालय ने मामले की सुनवाई के इस स्टेज पर रिट याचिका में की गई प्रार्थना के अनुरूप 28 दिसंबर को आयोजित मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने अथवा इसमें प्रार्थी गणों को प्रवेश देने को न्यायपूर्ण नहीं मानते हुए हुए आगे की कार्रवाई इस याचिका के निर्णय के अधीन रहने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश गोविंद माथुर द्वारा प्रार्थी उपेन्द्र गहलोत की याचिका की सुनवाई के दौरान दिए गए आदेश में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं का कथन सही पाए जाने की स्थिति में आरएएस 2010 की संपूर्ण प्रक्रिया भी रद्द की जा सकती है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता हनुमानसिंह चौधरी ने न्यायालय को बताया कि आरएएस 2010 की परीक्षा के वैकल्पिक विषयों के प्रश्नपत्रों में 40 प्रतिशत तक गड़बड़ियां पाई गई हैं। साथ ही मुख्य परीक्षा में पदों की संख्या से 15 गुना अधिक अभ्यर्थियों को आमंत्रित करने की बजाय आरपीएससीने 16 गुना अभ्यर्थियों को आमंत्रित कर लिया जो नियम विरुद्ध है। साथ ही नियमानुसार विकलांग श्रेणी, पूर्व सैनिकों, राज्य सरकार के कर्मचारियों जैसे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को पदों का विभाजन किए बगैर मनमाने तरीके से बुलाया गया। इसलिए या तो आरंभिक परीक्षा को रद्द किया जाए अथवा इसके परिणाम को रद्द किया जाए तथा नए सिरे से परीक्षा आयोजित करवाई जाए(दैनिक भास्कर,जोधपुर,24.12.2010)।
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