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30 दिसंबर 2010

यूपीःरामभरोसे है होम्योपैथी चिकित्सा शिक्षा

सूबे में होम्योपैथिक चिकित्सा शिक्षा रामभरोसे है। हर वर्ष बीएचएमएस की तीन सौ डिग्री बांटने वाले राजकीय महाविद्यालयों के पास न तो पर्याप्त संसाधन है और न ही पूरा शैक्षिक स्टाफ। शिक्षा के गिरते स्तर व छात्रों के भविष्य को लेकर सरकार भी आंखें मूंदे है। सबसे बड़े प्रदेश में दस होम्यो मेडिकल कालेज है। जिसमें राजकीय कालेजों की संख्या सात है। लेकिन परास्नातक डिग्री देने वाला कोई नहीं है। जबकि महाराष्ट्र में 46, मध्यप्रदेश में 21, गुजरात में 16 व पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में 13 होम्यो कालेज हैं। आगरा के डा. भीमराव अम्बेडकर विवि से सम्बद्ध लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, फैजाबाद, गाजीपुर, आजमगढ़ व मुरादाबाद के राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालयों में बीएचएमएस डिग्री लेने को 300 छात्र-छात्राओं के दाखिले सीपीएमटी परीक्षा के माध्यम से होते हैं। जहां छात्र पूरे होते हैं परन्तु उन्हें शिक्षित करने वाले स्टाफ का जबरदस्त टोटा है। केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के मानक भी पूरे न होने से मान्यता पर तलवार लटकी है। करीब 194 शैक्षिक व 404 शिक्षणेत्तर पद रिक्त हैं। यहां पर भवन, अस्पताल, उपकरण व वाहनों के साथ पुस्तकालय का भी अभाव है। प्रांतीय होम्योपैथिक चिकित्सा सेवा संघ के महामंत्री डा.सुधांशु दीक्षित का कहते है कि महाविद्यालयों की स्थिति बेहद दयनीय हैं। स्टाफ की कमी से लाखों रुपए के उपकरण आदि कबाड़ बन चुके है। वरिष्ठ होम्यो चिकित्सक डा. राजेंद्र सिंह कहते है कि हालात अनुकूल न होने से प्रदेश के हजारों युवाओं को होम्यो शिक्षा के लिए मजबूरन मोटी रकम खर्च कर बाहर जाना पड़ता है। केंद्रीय होम्योपैथी परिषद के डा. अनिरूद्ध प्रसाद वर्मा का कहना है कि शैक्षिक स्तर सुधारने को परिषद काफी गंभीर है। तीन जनवरी की बैठक में अहम फैसले होंगे। निदेशक बीएन सिंह बताते है स्टाफ आदि कमियां दूर करने के लिए शासन को भेजे प्रस्तावों पर जल्द कार्रवाई की उम्मीद है(अविनाश त्यागी,दैनिक जागरण,लखनऊ,30.12.2010)।

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