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07 दिसंबर 2010

यूपीःनकल के लिए सवा लाख ने बदला स्कूल

यूपी बोर्ड के राजकीय और वित्तपोषित स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग सवा लाख छात्रों ने हाईस्कूल, इंटर के परीक्षा फॉर्म भरने के बाद स्कूल बदल दिया। ताज्जुब यह कि नौवीं और ग्यारहवीं में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले इन छात्रों ने वित्तविहीन स्कूलों से दोबारा परीक्षा फॉर्म भरा। परीक्षा आवेदन पत्रों की स्क्रूटनी में यह गड़बड़ी पकड़ी गई। राजकीय और वित्तपोषित विद्यालय छोड़ एक लाख २७ हजार ३७० छात्र वित्तपोषित विद्यालयों की शरण में क्यों गए, इसकी पड़ताल चल रही है लेकिन बोर्ड सूत्रों का कहना है कि नकलमाफिया के बरगलाने के कारण ही छात्रों ने ऐसा कदम उठाया। तय है कि ऐसा छात्रों को मनमाने नकल के आश्वासन पर ही किया गया। बोर्ड अधिकारियों ने माध्यमिक शिक्षा विभाग को इसकी जानकारी दे दी है। नियमानुसार दो स्थानों से फॉर्म भरने की स्थिति में आवेदन रद्द हो जाना चाहिए लेकिन फिलहाल छात्रहित में ऐसा नहीं किया गया। अधिकारी शासन के आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
बोर्ड से जुड़े प्रदेश के लगभग २३०० विद्यालयों ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के परीक्षा फॉर्म जमा करने में काफी विलंब किया था जिसके कारण स्क्रूटनी में भी देरी हुई। इन विद्यालयों के परीक्षा फॉर्म की स्क्रूटनी में इतनी गड़बड़ियां पाई गईं कि कर्मचारी भी हैरत में पड़ गए। कई फॉर्म से फोटो गायब तो कुछ ने पते का प्रमाणपत्र नहीं लगाया। इंटर के कुछ छात्रों ने हाईस्कूल का रोलनंबर ही गलत दर्ज कर दिया लेकिन इससे भी बड़ी गड़बड़ी यह रही कि सवा लाख छात्रों के नाम रिपीट पाए गए। नाम, पिता का नाम, फोटो और पंजीकरण नंबर डालने पर पता चला कि उन्होंने पहले दूसरे विद्यालयों से फॉर्म भर रखा है। जिन विद्यालयों से पहले फॉर्म भरे, सभी राजकीय या वित्तपोषित विद्यालयहैं जबकि बाद के विद्यालय पिछले कुछ वर्षों की परीक्षा में नकल के लिए बदनाम रहे। स्क्रूटनी से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सचिव माध्यमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा निदेशक को इसकी जानकारी दे दी गई है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक का कहना है कि विद्यालय अधिक छात्र संख्या दिखाने के लिए जानबूझकर भी ऐसी गड़बड़ी करते हैं इसलिए बिना पूरी जांच के कुछ कहना या कार्रवाई करना संभव नहीं है(अमर उजाला,इलाहाबाद,7.12.2010)।

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