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03 दिसंबर 2010

हरीसिंह गौर विविःमानदेय में कटौती से अतिथि अध्यापक परेशान

डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में अतिथि देवो भव की भावना पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अतिथि विद्वानों के मानदेय में भारी कटौती की जा रही है जिससे वे अपनी इस अस्थाई नौकरी को लेकर अपना सिर धुन रहे हैं। गौरतलब है कि अतिथि विद्वानों की नियुक्ति हुए लगभग दो माह का समय हो चुका है। प्रक्रिया अनुसार उनकी नियुक्ति ५९ दिवस के लिए की गई थी। लेकिन शिक्षकों की कमी से जूझ रहा विवि प्रशासन अतिथि विद्वानों का कार्यकाल इतने ही दिनों के लिए फिर से बढ़ाने की मंशा बना चुका है। लेकिन कुछ विभागों को छोड़कर अधिकांश विभागों में कार्यरत अतिथि विद्वानों को अब तक वेतन भी नहीं मिल सका है। अतिथि विद्वानों को जो वेतन दिया गया है उसको लेेकर वे काफी असंतुष्ट हैं। उन्हें पूर्व में बताए गए मानदेय के अनुसार भुगतान नहीं किया जा रहा है। विभागाध्यक्षों को जो प्रारूप भेजा गया है उसके अनुसार माह में दिए गए कुल व्याख्यानों का २५० रुपए प्रति व्याख्यान के हिसाब से भुगतान करने का कहा गया है। ऐसे में अतिथि विद्वानों को बमुश्किल १२ से १८ हजार रुपए ही मिल पा रहे हैं। जबकि विज्ञापन में बताया गया था कि उन्हें १ हजार रुपए प्रतिदिन अथवा २५ हजार रुपए अधिकतम मानदेय प्रतिमाह देय होगा। अन्य किसी भी प्रकार का विश्लेषण वेतन के संबंध में नहीं किया गया था। अतिथि विद्वानों के मानदेय के भुगतान की जवाबदेही संबंधित विभागाध्यक्षों को सौंपी गई है। विवि प्रशासन द्वारा भुगतान के संबंध में भेजे गए नए दिशा- निर्देशों के बाद विभागाध्यक्ष भी असमंजस में हैं कि विज्ञापन में दर्शाए गए वेतन के अनुसार भुगतान करें या नए निर्देशानुसार।


क्या होगा अंजाम : विवि प्रशासन द्वारा जो नव निर्धारित वेतन अतिथि विद्वानों को दिया जा रहा है उसको लेकर वे खासे निराश हैं। कइयों ने तो नई जगह आवेदन करना शुरू कर दिया है। विवि में शिक्षकों की कमी की समस्या किसी से छिपी नहीं है। अतिथि विद्वानों की नियुक्ति के बाद भी शिक्षकों की कमी बरकरार है। शिक्षकों के विभिन्न पदों के लिए विज्ञापन तो जारी किया गया है लेकिन उनकी नियुक्ति कब तक होगी यह अनिश्चित है। ऐसे में कम वेतन के चलते अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे अतिथि विद्वान विवि में यदि अपनी सेवाएं देना बंद कर देंं तो क्या होगा? फिलहाल तो इसको लेकर विवि प्रशासन ने कोई रणनीति नहीं बनाई है। 

सारे अधिकार विवि के पास : मीडिया अधिकारी ने कुलसचिव प्रो. एनके जैन के हवाले से बताया कि अतिथि विद्वानों के मानदेय के संबंध में विभागाध्यक्षों एवं संकाय प्रमुखों की बैठक में निर्णय लिया गया था। मानदेय क्या होगा के संबंध में विज्ञापन में स्पष्ट कर दिया गया था कि अंतिम निर्णय विवि प्रशासन का होगा(दैनिक भास्कर,सागर,3.12.2010)।

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