एससीईआरटी में सोमवार को दो दिवसीय एक कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इस दौरान डाइट तथा गेटी (गवर्नमेंट इलेक्टेड टीचर्स ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) के सदस्यों के साथ भिवानी शिक्षा बोर्ड के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस कार्यशाला में विभिन्न संस्थानों से आए प्रतिनिधियों को यह सिखाया जा रहा है कि किस तरह से शिक्षा के व्यावहारिक ज्ञान तथा विद्यार्थी द्वारा पढ़े हुए ज्ञान में गैप स्थापित हो रहा है। एजुकेशनल इनीशिएटिव्स प्राइवेट लिमिटेड नामक एक संस्था ने चौथी, छठी व आठवीं के विद्यार्थियों का सर्वे किया था तथा उसमें निकली चीजों के आधार पर यह पता लगाया था कि इस गैप का कारण क्या है। इन्हीं कारणों तथा उनके उपायों का पता लगा कर संस्था ने इस कार्यशाला में विशेषज्ञों से प्रशिक्षण दिलवाया।
सोमवार को आयोजित इस कार्यशाला में हिंदी तथा गणित विभागों के प्रतिनिधियों ने इस चीज को जाना कि इन विषयों को छात्र केवल रटते हैं बजाए इसके कि उन्हें इसका पूरा ज्ञान मिलना चाहिए, लेकिन मूल्यांकन सिस्टम इस तरह का है कि विद्यार्थी रटने में विश्वास रखता है। इस संस्था के सीनियर मैनेजर देवेंदर कुमार शाह का कहना है कि विद्यार्थियों में खासकर हरियाणा में यह प्रवृत्ति देखने में आई है कि वह परीक्षा की तैयारी के लिए पाठ्यक्रम को समझने के बजाए रटते हैं, जिससे उन्हें विषय का व्यावहारिक ज्ञान नहीं हो पाता। उनका कहना है कि मूल्यांकन प्रणाली में बदलाव की जरूरत है, ताकि विद्यार्थी पढ़ाई इस तरह से करें कि उसे विषय का पूरा पूरा व्यावहारिक ज्ञान हो सके। हिंदी विषय विशेषज्ञ योगेश वशिष्ठ ने कहा कि इस तरह के वर्कशाप विभिन्न जगहों पर आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस दौरान भिवानी शिक्षा बोर्ड से पेपर सेट करने वाले विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया(दैनिक जागरण,गुड़गांव,14.12.2010)।
ाच्छा प्रयास है। धन्यवाद इस जानकारी के लिये।
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