यह भी खूब है। पढ़ाने को सरकार से लो 25 हजार। गांव जाने की जरूरत नहीं। किसी दूसरे को रख दो स्कूल में। बीईईओ को पटा लो। पांच हजार खर्च करो और 20 हजार जेब में डालो। हिसाब बराबर। वर्षो से यह खेल जारी है।
राज्य के प्राथमिक स्कूलों में भाड़े के शिक्षकों की भरमार है। बड़े अधिकारियों को इसकी जानकारी है, बावजूद वे चुप हैं। राज्य के कई प्राथमिक स्कूलों में ऐसे शिक्षक भरे हैं। इनमें अधिकतर उसी गांव के हैं, जिस गांव में स्कूल है। वे रोज स्कूल जाते हैं। बच्चों को पढ़ाते हैं। पर, पगार वे सरकार से न लेकर उस व्यक्ति से लेते हैं, जिनकी नियुक्ति उस स्कूल में पढ़ाने के लिए हुई है।
गुणवत्तायुक्त शिक्षा की डींग हांकने वाले क्या करते हैं:
अब प्रश्न यह उठता है कि जो अधिकारी बार-बार सेमिनार और कार्यशालाओं में गुणवत्तायुक्त शिक्षा दिलाने की बात करते हैं वे क्या कर रहे हैं।
पूर्व शिक्षा सचिव ने किया था खुलासा
लगभग छह वर्ष पहले, जब अशोक कुमार सिंह शिक्षा सचिव थे तब उन्होंने ऐसे कुछ मामलों का खुलासा किया था। राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों के भ्रमण के क्रम में कतिपय ऐसे स्कूल मिले थे, जहां भाड़े के शिक्षक पढ़ाते हुए मिले थे। एक विदेशी संस्था ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि झारखंड के स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सबसे कम होती है।
शिक्षक अपने घर का काम करते हैं और उसकी जगह स्कूल में कोई दूसरा व्यक्ति पढ़ाता है। इस रिपोर्ट के बाद तत्कालीन शिक्षा सचिव ने स्वयं मामले की पड़ताल की थी और इसे सही पाया था। उस समय उन्होंने एक अभियान चला कर ऐसे शिक्षकों को चिह्न्ति किया था, जिसके खिलाफ कार्रवाई हुई थी।
सिंह के शिक्षा विभाग छोड़ने के बाद महीनों तक तो इस परिपाटी पर विराम लगा रहा, पर यह फिर आरंभ हो गया है। अब जाकर सरकार इस विषय पर गंभीर हुई है। विभागीय मंत्री लगातार सूचनाएं इकट्ठा कर रहे हैं। इसके बाद सामूहिक कार्रवाई होगी।
नक्सलियों का बहाना
नक्सली क्षेत्र के स्कूलों में भाड़े के शिक्षक मिलते हैं। भय के कारण यहां पदस्थापित शिक्षक स्कूल नहीं जाते। वे गांव के ही किसी शिक्षित बेरोजगार युवक को पढ़ाने का दायित्व सौंप देते हैं। इसके बदले उन्हें पांच हजार या निर्धारित रुपए देते हैं। इसके लिए विभिन्न शिक्षाधिकारियों को भी खुश किया जाता है। यह खेल राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में लगातार जारी है। ऐसे में क्या होगा शिक्षा का हाल यह कल्पना करने की बात है।
रोकथाम की जाएगी
यह गंभीर बात है। अधिकारियों को नियमित चेकिंग का निर्देश दिया गया है। ऐसा कोई केस सामने आएगा तो उस पर ठोस कार्रवाई होगी। वैसे पलामू और लातेहार में मैंने स्वयं कई स्कूलों की जांच की। कुछ शिक्षक पकड़ाए भी, जिन्हें निलंबित कर दिया गया है। फिर भी ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए अभियान चलेगा।
वैद्यनाथ राम, शिक्षा मंत्री(दैनिक भास्कर,रांची,18.12.2010)
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