किसी अनजान व्यक्ति या क्लाइंट से जितनी सहजता से हम बात करते हैं, क्या वही बात अपने वर्कप्लेस पर साथ काम करने वाले सहकर्मियों के साथ भी होती है? आप शायद कहें, नहीं। आप महसूस करेंगे कि कार्यस्थल पर आपके संबंध प्राय: परफेक्ट नहीं रहते। आपको लगता होगा कि कार्यस्थल के संबंध काफी जटिल होते हैं, क्योंकि इसमें उन भावनाओं का सम्मिश्रण होता है, जो संबंधों को सहजता से आगे ले जाने से रोकते रहते हैं, जैसे-आगे निकलने की होड़, ईष्र्या, बड़े-छोटे या सीनियर-जूनियर का भाव आदि। लेकिन यदि आप यह जानते हैं कि सबको साथ लेकर चलने में ही छिपा है, पेशेवर जिंदगी की कामयाबी का राज तो इससे आपके करियर को एक नई रफ्तार मिल सकती है। साथ में उस कंपनी को भी, जहां आप काम कर रहे हैं।
ग्लोबल वर्ल्ड की डिमांड
भूमंडलीकरण ने दुनिया भर के साथ-साथ भारतीय कार्यस्थलों को भी काफी प्रभावित किया है। मैनर्स और एटिकेट्स की महत्ता अब विदेशी कंपनियों के साथ-साथ भारतीय कंपनियां भी अच्छी तरह से महसूस कर रही हैं। वे यह जानती हैं कि यही वे बातें हैं, जिनसे कार्यस्थल के माहौल को बेहतर बनाया जा सकता है और कंपनी की तरक्की सीधे तौर पर इस बात से जुड़ी है। बावजूद इसके ज्यादातर कार्यस्थलों पर आज भी मैनर्स और एटिकेट्स को लेकर पर्याप्त सजगता नहीं दिखाई देती। एचआर कंसल्टेंसी फर्म प्लानमैन के डायरेक्टर और मैनेजिंग पार्टनर दीपक कायस्थ कार्यस्थल की सफलता के लिए बिजनेस एटिकेट्स को सबसे अहम फैक्टर मानते हैं। वे कहते हैं, यदि अपने कॅलीग और बॉस से बेहतर तालमेल नहीं बना पाते, बिजनेस एटिकेट्स का पालन नहीं करते तो आपकी कामयाबी के सबसे बड़े रोड़े यही साबित होते हैं। भले ही आपका प्रोफाइल शानदार हो और आप बड़े पद पर हों, इन गुणों के अभाव में आपका मूल्य कम हो जाता है।
रिश्तों में लाएं मिठास
पेशेवर जिंदगी समझौतों पर टिकी होती है। निजी जिंदगी से अलग यहां हर कदम फूंक-फूंक कर रखना होता है। अनौपचारिक बातचीत या व्यवहार में भले ही आपको लगे कि आप सही कर रहे हैं, लेकिन इसका असर नकारात्मक होता है। एचआर सॉल्यूशन कंपनी क्वेटजैल के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर देवाशीष चक्रवर्ती कार्यस्थल के संबंध को समझौतों पर आधारित मानते हैं। वे कहते हैं, कार्यस्थल पर आपके बेहतर संबंध का आपके करियर से सीधा सरोकार होता है। दरअसल, कार्यस्थल पर हर किसी के साथ बेहतर तालमेल बनाना एक डील की तरह होता है। यह डील कामयाब और युक्तिपूर्ण हो, इसके लिए जरूरी है कि आप कार्यस्थल के संबंध को अहमियत दें और अपने व्यवहार को कुशल बनाएं। हर कार्यस्थल के अपने-अपने आयाम होते हैं। अलग-अलग नियम और कानून होते हैं, लेकिन जो चीज कॉमन होती है, वह है सोशल स्किल। यह मानना है अपना सर्किल डॉट कॉम के सीईओ योगेश बंसल का। बंसल कहते हैं, सोशल स्किल ही वह चीज है, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। कार्यस्थल पर हरेक मोर्चे पर खरा उतरने के लिए इस अस्त्र की जरूरत पड़ती ही है। स्वस्थ माहौल, बेहतर स्वास्थ्य कार्यस्थल पर बेहतर माहौल का असर आपके स्वास्थ्य पर भी हो सकता है। वेक फारेस्ट यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के जोसेफ जी ग्रैवेक्स ने कार्यस्थल पर तनावमुक्त वातावरण के प्रभावों का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। ग्रैवेक्स के अनुसार, जो लोग यह मानते हैं कि उनके कार्यस्थल का वातावरण तनावमुक्त है, उनकी जीवनशैली स्वस्थ होती है। कारण साफ है। विभिन्न प्रकार के लोगों को एक साथ डील करना कोई खेल नहीं। इसके लिए बेहद स्पष्ट नजरिया और कुशल रणनीति की जरूरत होती है। जाहिर है जब कार्यस्थल पर आपके बढि़या संबंध नहीं होते, तो इससे पैदा होने वाला तनाव साथ लाता है कई तरह की घातक बीमारियां। योगेश बंसल पर इस तथ्य पर अपनी मुहर लगाते हुए मानते हैं, जिन कार्यस्थलों का माहौल स्वस्थ होता है, उनसे जुड़ी कंपनियों का विकास कहीं अधिक तेजी से होता है। प्रतिस्पर्धा के दौड़ में वे कहीं आगे निकल जाती हैं(दैनिकजागरण,28.12.2010)।
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