राज्य के 30 हजार से ज्यादा शिक्षाकर्मियों को प्रधानपाठक के रूप में पदोन्नत करने की पूरी प्रक्रिया सवालिया घेरे में है। आरोप है कि लेन-देन की गुंजाइश बनाए रखने के लिए चयन प्रक्रिया से व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) जैसी संस्थाओं को अलग रखा गया।
सबने बनाए अपने नियम :
परीक्षा लेने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी स्तर के अफसरों के हवाले कर दी गई। इतना ही नहीं अफसरों ने अपने हिसाब से नियमों में बदलाव भी कर दिया। कहीं आरक्षण का पालन हुआ, तो कहीं नहीं।
परीक्षा लेने के तरीके में भी मर्जी चली। एक ही कमरे या सेंटर में बैठने वाले शिक्षाकर्मी पदोन्नति पा गए। गड़बड़ी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बिलासपुर जिले में तीन बार सूची बदली जा चुकी है। बलौदाबाजार शिक्षा जिले की सूची अब तक जारी नहीं हो पाई। हाईकोर्ट में चयन के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं लंबित हैं।
चार जिलों में हुई थी परीक्षा :
प्रदेश के चार जिलों में इन परीक्षाओं क आयोजन किया गया था। पदोन्नति से सात हजार महीना पाने वाले शिक्षाकर्मियों का वेतन करीब 20 हजार रुपए हो जाएगा।
पड़ताल-जांच में खुली पोल
बलौदाबाजार :
जिले की परीक्षा के 20 दिन बाद भी सूची जारी नहीं हो पाई है। 580 पदों के लिए यहां तीन हजार शिक्षाकर्मियों ने परीक्षा दी थी। जिला पंचायत सदस्य मुरारी मिश्रा, सुनील माहेश्वरी सदस्य अन्य सदस्यों का आरोप है कि राज्य के एक मंत्री के पीए की पत्नी बलौदाबाजार शिक्षा जिले से पास कर दी गई।
बलौदाबाजार के जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर के तीन करीबी रिश्तेदारों को अच्छे अंक देकर पदोन्नत करने का इंतजाम कर लिया गया है।
रायपुर जिला पंचायत की सामान्य सभा इस पूरी सूची को ही निरस्त करने का प्रस्ताव पारित कर चुकी है। जिला प्रशासन इन आरोपों की जांच करवा रहा है। इस संबंध में श्री चंद्राकर से कई कोशिशों के बाद भी संपर्क नहीं हो सका।
बिलासपुर :
जिले में तीन बार सूची बदली गई। अब तक अंतिम सूची जारी नहीं हो पाई है। परीक्षा का आयोजन कर आनन-फानन में शिक्षाकर्मियों को प्रधान पाठक के रूप में ज्वाइनिंग करवा दी गई।
गड़बड़ी के आरोप पर कलेक्टर ने जांच करवाई, जिसके बाद सूची बदली गई। बाद में पता चला कि इसमें आरक्षण नियमों का पालन नहीं हुआ। इस सूची को भी रोक दिया गया। तीसरी सूची तो विवाद की वजह से जारी ही नहीं हो सकी है। एक से डेढ़ लाख रुपए के लेन-देन का आरोप लग रहा है।
रायगढ़ :
जिले में हुई परीक्षा में भी विवाद है। भ्रष्टाचार की शिकायतों को दरकिनार कर यहां शिक्षाकर्मियों को प्रधानपाठक के रूप में पोस्टिंग दे दी गई। महासमुंद : तीन दिन पहले ही यहां परीक्षा हुई है। वहां भी विवाद खड़ा हो गया है।
कई सवाल
*पटवारी पदोन्नति परीक्षा व्यापमं को दी जा सकती है तो प्रधान पाठक पदोन्नति परीक्षा क्यों नहीं ?
*शासन के आदेश के बावजूद परीक्षार्थियों को आंसर शीट की कॉपी क्यों नहीं उपलब्ध कराई?
*खास सेंटरों में बैठे परीक्षार्थी ज्यादा सलेक्ट कैसे हुए ?
*बिना आरक्षण नीति का पालन किए भर्ती कैसे कर ली गई ?
* कई स्थानों पर पोस्टिंग की जगह तय किए बिना ब्लॉक में ज्वाइनिंग कैसे करवा दी गई ?
*अधिकारियों और मंत्री के सहयोगियों के रिश्तेदारों का चयन कैसे हुआ ?
*ओएमआर शीट पर कहीं पेंसिल, तो कहीं पेन का इस्तेमाल करने को क्यों कहा गया ?
*बलौदाबाजार में ओएमआर शीट की प्रति भी परीक्षार्थियों को क्यों नहीं दी गई ?
"बलौदाबाजार जिले में हुई प्रधान पाठक परीक्षा की पूरी रिपोर्ट जांच अधिकारी से मिल गई है। रिपोर्ट के विस्तृत अध्ययन के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी"- डॉ. रोहित यादव, कलेक्टर
"बलौदाबाजार की पूरी सूची निरस्त करने के लिए सामान्य सभा से प्रस्ताव पारित करवाया जा चुका है। सूची निरस्त करने का फैसला शासन को लेना है"- लक्ष्मी वर्मा, अध्यक्ष जिला पंचायत रायपुर
"किसी भी परीक्षा का प्रस्ताव शासन की ओर से मिलता है। शासन प्रधान पाठक परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव देगा तो इसे समिति के समक्ष रखा जाएगा।"(असगर खान,दैनिक भास्कर,रायपुर,10.12.2010)
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