‘पढ़ो और आगे बढ़ो’ के नारे के साथ शिक्षा व्यवस्था में सुधार के दावों की पोल खुल गई है। शीतकालीन सत्र वाले स्कूलों के लिए सर्व शिक्षा अभियान की ओर से दी जाने वाली करोड़ों रुपए की पुस्तकें परीक्षाओं से एक माह पहले पहुंची हैं। कायदे से यह पुस्तकें सत्र शुरू होने के एक माह में पहुंच जानी चाहिए थी। शीतकालीन स्कूलों में सत्र 15 फरवरी से शुरू हो गया था।
ऐसे में अक्तूबर के और नवंबर के शुरू में उपलबध करवाई गई पुस्तकों से छात्र कब और कैसे तैयारी करेंगे इस पर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने स्वीकार किया है कि इस साल ,86,46,620 रुपए की किताबें आधार -1, आधार-2 और आधार -3 में छापी गईं और किताबें मार्च की जगह अक्टूबर और नवंबर में स्कूलों में पहुंची। मजदूर कामगार संगठन के अध्यक्ष प्रधान संत राम ने इस मामले का पटाक्षेप किया है(दैनिक भास्कर,शिमला,10.12.2010)।
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