उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग भले ही 2011 की पीसीएस परीक्षा में सीसैट (सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट) नहीं लागू कर रहा, पर इसे लेकर प्रतियोगी छात्रों में ऊहापोह की स्थिति है। सबसे ज्यादा परेशानी उन प्रतियोगियों के लिए है, जिनके आइएएस में अब अटेम्प्ट नहीं बचे हैं और पीसीएस में भी दो-तीन अटेम्प्ट ही बचे हैं। दूसरी तरफ सीसैट को लेकर उन छात्रों में खासा उत्साह है जो आयोग की स्केलिंग पद्धति पर ही सवालिया निशान और भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं। संघ लोक सेवा आयोग में सीसैट लागू होने के बाद से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में भी इसके लागू होने के कयास लगाए जा रहे थे। हालांकि, लोक सेवा आयोग द्वारा 2011 की परीक्षा में सीसैट लागू करने की संभावना से इनकार करने के बाद से कुछ छात्रों ने राहत की सांस ली है तो कुछ ने अफसोस व्यक्त किया। इसे लेकर प्रतियोगी छात्रों में उत्सुकता भी है तो वहीं दूसरी तरफ असमंजस भी। सीसैट लागू होने के बाद प्रारंभिक परीक्षा में विषय की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी। दूसरा पेपर सीसैट का होगा। दोनों पेपर सबके लिए एक समान होगा। सीसैट लागू होने के बाद अंग्रेजी भाषा दक्षता की भी परीक्षा ली जाएगी, हालांकि यह हाईस्कूल स्तर की ही होगी। माना जा रहा है कि प्री में ही अंग्रेजी दक्षता परीक्षा के कारण ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए इसे पास करना काफी मुश्किल हो जाएगा। प्रतियोगी छात्र ओम प्रकाश त्रिपाठी कहते हैं कि सीसैट लागू होने से छात्रों का काफी फायदा होगा। एक तो प्री में विषय की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी, दूसरे स्केलिंग का विवाद भी खत्म हो जाएगा। प्रतियोगियों को आइएएस और पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा के लिए एक ही पाठ्यक्रम की तैयारी करनी पड़ेगी। आइएएस 2010 और पीसीएस 2009 का इंटरव्यू दे चुके संजय त्रिपाठी कहते हैं कि सीसैट लागू होने से सबसे बड़ी बात स्केलिंग की समस्या खत्म हो जाएगी। हां, ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों को थोड़ी दिक्कत तो होगी। आइएएस का इंटरव्यू दे चुके राकेश सिंह का कहना है कि सीसैट लागू होने से न सिर्फ स्केलिंग की समस्या से निजात मिलेगी, बल्कि विलंब चल रहीं परीक्षाएं भी समय से हो पाएंगी(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,10.12.2010)।
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