कालेज और यूनिवर्सिटी में लेक्चरर बनने के इच्छुक पीएचडी धारकों के लिए एक अच्छी खबर है। 31 अक्तूबर, 2009 से पहले के पीएचडी धारकों को अब नेट अनिवार्य तौर पर पास करने से छूट मिल गई है। मगर उन्हें यह छूट कुछ शर्तों के साथ दी गई है। यह रहस्योद्घाटन 27 दिसम्बर,2010 को पंजाब विश्वविद्यालय में आये यूजीसी के चेयरमैन प्रो. सुखदेव थोराट ने विशेष बातचीत में किया। उन्होंने बताया कि यूजीसी ने पीएचडी के लिए अब कुछ नये दिशानिर्देश जारी किये हैं जिनके आधार पर पीएचडी करने वाले छात्रों को यूजीसी नेट से छूट प्राप्त होगी।
उन्होंने साफ किया कि 2009 से पहले के पीएचडीधारकों को भी कुछ शर्तों के साथ नेट से छूट दी गई है। लेक्चरर की नियुक्ति के समय चयन समिति यह तय करेगी कि किसी अभ्यर्थी की पीएचडी उन मानकों के मुताबिक है या नहीं जो यूजीसी द्वारा तय किये गये हैं। उन्होंने बताया कि यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को एक एडवाइ•ारी भेजी है जिसमें दस प्वाइंट दिये गये हैं। किसी भी अभ्यर्थी को लेक्चरर की नियुक्ति पाने के लिए इन 10 प्वाइंटों में से छह प्वाइंट पूरे करने होंगे। प्रो. थोराट ने यह भी कहा कि हर विश्वविद्यालय इस मामले में अपनी तरफ से भी कुछ शर्तों में ढील दे सकता है। उन्होंने साफ किया कि पीएचडी धारकों को नेट की आवश्यकता नहीं है और दूसरे जिन विषयों में ‘नेट’ परीक्षा आयोजित नहीं होती उन विषयों में भी नेट अनिवार्य की शर्त नहीं होगी। प्रो. थोराट ने कहा कि एंट्री प्वाइंट पर शिक्षा के क्षेत्र में जो आकर्षक वेतनमान दिये जा रहे हैं उनके लिए कुछ कड़े दिशा-निर्देश और रेगुलेशन लागू किये जाने भी जरूरी हैं। किसी भी लेक्चरर को नियुक्ति पर एक आईएएस से बेहतर वेतन दिया जाता है बदले में यूजीसी भी चाहती है कि शिक्षा का स्तर और उन्नत हो। उन्होंने एमफिल पास अभ्यर्थियों को ‘नेट’ से छूट दिये जाने की बात को सिरे से नकार दिया।
यूजीसी के चेयरमैन प्रो. थोराट ने बताया कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में शिक्षा के लिए बजट में 10 गुणा बढ़ोतरी कर इसे 4700 करोड़ कर दिया गया है। सरकार नये संस्थान खोलने को तरजीह दे रही है ताकि उच्च शिक्षा में एनरोलमेंट को बढ़ाकर 15 फीसदी किया जा सके। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक हजार बहुतकनीकी संस्थान खोले जा रहे हैं, 15 केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किये जा रहे हैं और 15 अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालय शीघ्र स्थापित होने जा रहे हैं। इतना ही नहीं सात आईआईएम और सात आईआईटी और खोली गई हैं।
उन्होंने कहा कि इस साल पांच फीसदी और छात्रों को उच्च शिक्षा मे एनरोलमेंट दिलाना उनका लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि जिन विश्वविद्यालयों को केंद्र से धन मिल रहा है अथवा सेंट्रली फंडिंग है उन विश्वविद्यालयों को शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 साल करनी होगी लिहाजा पंजाब विश्वविद्यालय को भी इस पर विचार करना होगा। उन्होंने यह भी साफ किया कि राज्य द्वारा संाचलित किये जा रहे विश्वविद्यालयों में सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने पर वहां की राज्य सरकार ही फैसला ले सकती है। पंजाब विश्वविद्यालय के सेंट्रली फंडिड होने के बाद अब यहां पर ओबीसी के लिए 27 फीसदी कोटा देना अनिवार्य होगा।
इसका सीधा मतलब है 27 फीसदी सीटें छात्रों के लिए अतिरिक्त सृजित करनी होंगी। टीचिंग में भर्ती के लिए 27 फीसदी आरक्षण देना होगा। इसी तरह नॉन टीचिंग स्टाफ को भी इसी अनुपात में आरक्षण देना होगा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि यदि किसी पोस्टग्रेजुएट कालेज का कोई शिक्षक पीएचडी के लिए किसी छात्र को अपने साथ रजिस्टर कराना चाहे तो शर्तें पूरी होने पर वह शोध-निर्देशन कर सकता है(डॉ. जोगिन्द्र सिंह,दैनिक ट्रिब्यून,चंडीगढ़,28.12.2010)।
टिप्पणीःब्लॉग चौपाल वाले राजकुमार ग्वालनी जी ने इस पोस्ट की चर्चा दिनांक 29.12.2010 की चर्चा में की है जिसका लिंक यहां है
टिप्पणीःब्लॉग चौपाल वाले राजकुमार ग्वालनी जी ने इस पोस्ट की चर्चा दिनांक 29.12.2010 की चर्चा में की है जिसका लिंक यहां है
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