मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

15 दिसंबर 2010

डीम्ड विवि की मान्यता पर कोर्ट ने राज्यों का नजरिया पूछा

सुप्रीम कोर्ट ने 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों के भविष्य को लेकर राज्यों से उनका नजरिया पूछा है। मंगलवार को शीर्ष न्यायालय ने कई राज्यों से पूछा कि अगर केंद्र सरकार डीम्ड विश्वविद्यालयों की मान्यता रद कर देता तो क्या वे मान्यता प्रदान करेंगे। न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने राज्यों को नोटिस जारी करते हुए उनसे अगले साल 11 जनवरी तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा। शीर्ष न्यायालय ने टंडन समिति की सिफारिशों के बाद यह निर्देश दिया है। समिति ने 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों की मान्यता इस आधार पर समाप्त करने की सिफारिश की है कि इन विश्वविद्यालयों के कर्ताधर्ताओं ने इन्हें अपनी निजी जागीर बना लिया है। जिससे ये शिक्षण संस्थान पूरी तरह से अपने प्रबंधकों के व्यावसायिक उपक्रम में तब्दील हो गए हैं। इससे पहले शीर्ष न्यायालय ने इस साल जनवरी में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने केंद्र द्वारा इन 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों का दर्जा समाप्त करने पर रोक लगा दी थी। अपने आदेश में अदालत ने कहा था कि यथास्थिति तब तक बनाए रखी जाए, जब तक कि केंद्र के कदम को चुनौती देने वाली प्रबंधकों द्वारा याचिकाओं का निस्तारण न हो जाए। केंद्र ने इन विश्वविद्यालयों की मान्यता रद करने का प्रस्ताव देते हुए शीर्ष न्यायालय को आश्वस्त किया था कि वह उन दो लाख पूर्व छात्रों के हितों का ध्यान रखेगा, जो मान्यता रद होने से प्रभावित होंगे। अनेक डीम्ड विश्वविद्यालयों ने सरकार के फैसले के बाद शीर्ष न्यायालय में गुहार लगाई थी। प्रभावित विश्वविद्यालयों की याचिकाओं पर न्यायालय ने गत 25 जनवरी को इन संस्थानों के डीम्ड दर्जे को हटाने से केंद्र को रोक दिया था। सरकार ने आश्वासन दिया था कि इन संस्थानों के खिलाफ अदालत की सहमति के बिना कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसके बाद भी अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। शीर्ष न्यायालय ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए कहा था कि इसमें न केवल संस्थान शामिल हैं बल्कि दो लाख छात्रों का भविष्य भी इससे जुड़ा है।(दैनिक जागरण,दिल्ली,15.12.2010)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।