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31 दिसंबर 2010

यूपीःजनगणना के कारण छात्रों की परेशानियां बढ़ीं

सूबे के लाखों छात्रों को इस बार बोर्ड परीक्षाओं के दौरान दोहरे दबाव से जूझना होगा। कॅरियर के असली मोर्चे पर जनगणना उनकी दुश्मन बनी है। जनगणना की वजह से ही बोर्ड परीक्षाएं एक पखवाड़े आगे ले जानी पड़ी हैं, जिससे मेडिकल व इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं के लिए छात्रों को तैयारी का समय बहुत कम मिल पाएगा। कुछ प्रवेश परीक्षाओं की तारीखें तो बोर्ड परीक्षा के दौरान ही प्रस्तावित हैं। गौरतलब है कि बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षाएं इस बार 17 मार्च से शुरू होकर 21 अप्रैल तक चलेंगी। जबकि पूर्व के वर्षो में यह चार-पांच मार्च से शुरू होकर अप्रैल के पहले हफ्ते तक खत्म हो जाती थीं। इससे छात्रों को इंजीनियरिंग व मेडिकल इंट्रेंस एग्जाम की तैयारियों के लिए वक्त मिल जाता था। लेकिन इस बार उनसे यह समय छिन गया है। जनगणना में माध्यमिक शिक्षकों को लगाए जाने की गाज उनकी तैयारियों पर पड़ी है। छात्रों को मलाल इस बात का है कि उन्हें यूपीटीयू के स्टेट लेविल इंट्रेंस एग्जाम की तैयारियों के लिए बहुत कम वक्त मिल पाएगा। यह परीक्षा अप्रैल के तीसरे हफ्ते में प्रस्तावित है और उस वक्त बोर्ड के आखिरी प्रश्नपत्र हो रहे होंगे या तत्काल खत्म हुए होंगे। छात्रों के पास देश की सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा एआइईईई (आल इंडिया इंजीनियरिंग इंट्रेस एग्जामिनेशन) की तैयारियों के लिए भी बहुत कम समय बचेगा। आइआइटीजीईई (इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी ज्वाइंट इंट्रेंस एग्जाम) भी अप्रैल के दूसरे हफ्ते में प्रस्तावित हैं। इंजीनियरिंग की तरह मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारियों के लिए भी छात्र समय की किल्लत से जूझेंगे। सीबीएसई द्वारा आयोजित एआइपीएमटी (आल इंडिया प्री मेडिकल/प्री डेंटल इंट्रेंस एग्जाम) की प्रारंभिक परीक्षा अप्रैल के पहले हफ्ते में होनी है। हालांकि इसका फाइनल एग्जाम मध्य मई में होना है लेकिन छात्रों का तर्क है कि पहली सीढ़ी पार करने के बाद ही तो दूसरी सीढ़ी तक पहुंचा जा सकता है। सभी छात्र परीक्षा के साथ ही इंट्रेस एग्जाम की तैयारियों में जुट जाते हैं। इसे देखते हुए ही बोर्ड ने कठिन विषयों की परीक्षाएं पहले रखी हैं। प्रदेश के शिक्षा निदेशक संजय मोहन कहते हैं-यह हमारी मजबूरी है। जनगणना के कारण परीक्षाएं विलंब से करानी पड़ रही हैं। वैसे छात्र दोनों परीक्षाओं के लिए एक साथ ही तैयारियां करते हैं इसलिए कोई विशेष फर्क नहीं पड़ेगा। दूसरी ओर विधान परिषद में शिक्षक विधायक दल के नेता ओम प्रकाश शर्मा इसे गंभीर मानते हैं। उन्होंने इस संबंध में प्रदेश के मुख्य सचिव को एक पत्र भी भेजा है। उनके अनुसार जनगणना जैसे कार्यक्रमों के लिए शिक्षक अंतिम विकल्प होना चाहिए(हरिशंकर मिश्र,दैनिक जागरण,लखनऊ,राष्ट्रीय संस्करण,31.12.2010)।

1 टिप्पणी:

  1. बहुत ही अच्छी और विचारणीय पोस्ट.नूतन वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं .

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