हनिकें,शैताना,सूधा,सेंत-मेंत क्या पहचाना आपने इन शब्दों को? अगर नहीं तो तैयार हो जाइए,क्योंकि अब इन शब्दों की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देने वाली है। जिसका बीड़ा उठाया है लोक कला संस्कृति विभाग ने।
यूं तो चंबल संभाग की प्राकृतिक छटाओं को फिल्मों के माध्यम से काफी लम्बे समय से जाना जाता रहा है, लेकिन अब चंबल संभाग में बोली जाने वाली देहाती भाषा और इनमें प्रयुक्त होने वाले शब्दों को अब पूरी दुनिया जानेगी, क्योंकि लोक कला संस्कृति विभाग 22 हजार देहाती शब्दों को चुनकर शब्दकोष बनाने जा रहा है। शब्दकोष को बनाने का काम अंचल के लेखक डॉ. रामस्वरूप उपाध्याय सरस को सौंपा गया है।
मुरैना जिले में उर्दू, हिन्दी, बृज और खड़ी भाषा की मिश्रित बोली आम बोल-चाल में उपयोग की जाती है, लेकिन यहां बोले जाने वाले कई शब्द अपने-आप में अनूठे हैं। क्षेत्र की इसी अनूठी भाषा को दुनिया भर के लोग जानेंगे।
शासन की ओर से लोक कला संस्कृति विभाग जल्द ही आम बोल-चाल के ऐसे 22 हजार देहाती शब्दों को एकत्रित कर शब्दकोष को तैयार करेगा, जिसका जिम्मा लिया है अंबाह विकास खंड में रहने वाले लेखक डॉ. रामस्वरूप उपाध्याय सरस ने।
श्री सरस अभी तक क्षेत्र में बोले जाने वाले सात हजार देहाती शब्दों की खोज कर चुके हैं। उल्लेखनीय है कि जिस दिन यह शब्दकोष तैयार होगा, उससे पूरे देश में चंबल की एक अलग ही पहचान होगी साथ ही देश में यहां के देहाती शब्दकोष पर लोगों द्वारा शोध भी किया जाएगा। जो मुरैना जिले व चंबल क्षेत्र के लिए गौरव की बात होगी।
अटल जी की लायब्रेरी में किताबें
श्री सरस द्वारा लिखीं गई कई किताबें पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की लायब्रेरी में भी रखीं गईं है। पूर्व प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी इन किताबों के माध्यम से चंबल की यादों को ताजा करते हैं।
चंबल की किताबें विदेशों में लोकप्रिय
चंबल अंचल की प्राकृतिक सौंदर्य और यहां की संस्कृति के समाहित कर लिखीं गईं कई किताबें वर्तमान में विदेशों में अंग्रेजी अनुवाद कर पढ़ी जा रही हैं। यह किताबें पूर्व प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी की लायब्रेरी से उनके विदेशी मेहमान लेकर गए हैं। किताबों को देने से पहले श्री वाजपेयी द्वारा पत्र लिख कर लेखक श्री सरस से अनुमति लेने भेजे गए पत्र इस बात के प्रमाण हैं।
लोक कला संस्कृति विभाग द्वारा देहाती भाषा के २२ हजार शब्दों को चुनकर शब्दकोष तैयार करने के लिए कहा गया है। अभी तक क्षेत्र में बोले जाने वाले 7 हजार शब्दों की खोज कर ली है।
डॉ.रामस्वरूप उपाध्याय सरस, लेखक अंबाह।
इसलिए चुने गए सरस
लोक कला संस्कृति विभाग ने 22 हजार देहाती शब्दकोष को तैयार करने के लिए श्री सरस को इसलिए चुना गया है, क्योंकि इनके द्वारा चंबल क्षेत्र को समर्पित 31 पुस्तकें लिखीं गईं हैं। इनमें वर्ष 2009 में एक साथ नौ पुस्तकों का प्रकाशन शामिल है, जो किसी भी लेखक के लिए रिकॉर्ड से कम नहीं है(अक्षय जैन,दैनिक भास्कर,अम्बाह,27.12.2010)।
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