ग्रेडिंग सिस्टम अब स्कूल से आगे बढ़ते हुए विश्वविद्यालय पहुंच गया है। सीबीएसई ने इसे पहले स्कूलों में नौंवी और दसवीं में लागू किया तो जामिया मिलिया इस्लामिया विवि ने सीधे पीजी पाठ्यक्रमों में ही ग्रेडिंग सिस्टम को लागू कर दिया है।
यानी, अब विव स्तर पर भी एक-एक नंबर को लेकर लगने वाली दौड़ और उसके चलते छात्रों में पनपने वाले तनाव की छुट्टी होने जा रही है। विश्वविद्यालय की ओर से तैयार ग्रेडिंग सिस्टम में सात प्वाइंट की मूल्यांकन व्यवस्था तैयार की गई है। इसके आधार पर छात्रों की मार्कशीट पर अंकों के बजाए ग्रेड दर्ज किए जाएंगे।
विवि अकेडमिक काउंसिल के सदस्य प्रो. एस.एम. महमूद ने बताया कि पोस्ट ग्रेजुएशन में सेमेस्टर सिस्टम लागू करने के साथ ही विवि ने मूल्यांकन का विस्तृत खाका भी तैयार कर लिया है। ग्रेडिंग व्यवस्था के तहत जामिया में सीबीएसई की ही तरह सात प्वाइंट का एक सिस्टम तैयार किया गया है जिसके आधार पर छात्रों का मूल्यांकन सेमेस्टर के हिसाब से किया जाएगा।
विश्वविद्यालय की ओर से तैयार ग्रेड में ए प्लस उन छात्रों को मिलेगा जो 90 से 100 अंक पाएंगे। इसी तरह, ए ग्रेड उन्हें मिलेगा जिन्हें 90 से कम व 80 या उससे ज्यादा अंक मिलेंगे। अन्य ग्रेड में बी प्लस उन छात्रों को मिलेगा जिन्हें 70 या उससे अधिक व 80 से कम अंक मिलेंगे।
बी ग्रेड में वे छात्र आएंगे जिन्हें 60 या उससे ज्यादा व 70 से कम अंक मिलेंगे। ग्रेडिंग सिस्टम के तहत सी प्लस ग्रेड उन छात्रों के लिए है जिन्हें 50 या उससे ज्यादा व 60 से कम अंक मिलेंगे। सी ग्रेड उन छात्रों को मिलेगा जिन्हें 40 या उससे ज्यादा व 50 से कम अंक मिलेंगे।
एम.ए (एचआरएम) और एम.ए (सोशल वर्क) को छोड़ शेष पाठ्यक्रमों में पास होने के लिए सी ग्रेड पाना जरूरी होगा। जबकि, एम.ए (एचआरएम) व एम.ए (सोशल वर्क) में पास होने के लिए छात्रों को कम से कम सी प्लस ग्रेड लाना होगी।
प्रो. महमूद ने बताया कि अंतिम ग्रेड डी उन छात्रों को मिलेगा जिनके अंक 40 से कम होंगे और उन्हें फेल की श्रेणी में रखा जाएगा। विश्वविद्यालय की ओर से तैयार ग्रेड प्वांइट सिस्टम में सेमेस्टर के हिसाब से सेमेस्टर ग्रेड प्वाइंट औसत निकाला जाएगा और जब पाठ्यक्रम पूरा हो जाएगा तो उसके बाद कोर्स का ग्रेड प्वाइंट औसत अलग निकाला जाएगा।
विश्वविद्यालय की ओर से तैयार फॉमूले में 10 प्वाइंट स्केल तैयार किया गया है जिसमें ए प्लस के लिए 10 प्वाइंट, ए के लिए 9 प्वाइंट, बी प्लस के लिए 8 प्वाइंट और बी के लिए 7 प्वाइंट है। सी प्लस के लिए 6 प्वाइंट, सी के लिए 5 और डी के लिए 0 प्वाइंट निर्धारित किए गए हैं।
पुनर्मूल्यांकन का अधिकार छीना :
विश्वविद्यालय में लागू सेमेस्टर सिस्टम के तहत छात्रों के पास अंकों की गणना का अधिकार तो होगा, लेकिन उत्तर पुस्तिका की पुन: जांच नहीं होगी। प्रो. महमूद कहते हैं कि पुन: मूल्यांकन को लेकर छात्रों की मुश्किल को आसान करने के लिए खास तौर पर एग्जाम ग्रीवांस कमेटी बनाई गई है।
अकेडमिक काउंसिल सदस्य बताते हैं कि यह कमेटी एक निर्धारित अवधि में छात्रों की मांग पर विचार कर अपना फैसला देगी, जिसे एग्जाम कमेटी को भेजा जाएगा और वहीं आगे की कार्रवाई अंजाम देगी। हालांकि, इस व्यवस्था में प्रो. महमूद ने एग्जाम कमेटी को शामिल करने पर ऐतराज जताया है।
वह कहते हैं कि एग्जाम ग्रीवांस कमेटी का निर्णय अंतिम होना चाहिए और इसे जल्द से जल्द लागू किया जाए। उन्होंने बताया कि एकेडमिक काउंसिल में पेश खासे में आमूल चूल बदलावों को लेकर आगामी 15 दिसम्बर को एक बैठक बुलाई गई है, जिसके बाद इस नए सिस्टम को लागू कर दिया जाएगा और पहले सेमेस्टर के नतीजे इसी व्यवस्था के तहत जारी होंगे।
40 फीसदी में सेमेस्टर पास, कोर्स में फेल
एकेडमिक काउंसिल की ओर से तैयार फॉमरूले में छात्रों को स्पष्ट किया गया है कि भले ही सेमेस्टर में वे 40 फीसदी अंक पाकर पास हो जाएं, कोर्स में पास होने के लिए उन्हें इससे ज्यादा अंक लाने होंगे, यानी यहां 40 फीसदी से काम नहीं चलेगा।
इतना ही नहीं, एम.ए (एचआरएम) व एम.ए (सोशल वर्क) में यह पास प्रतिशत और भी अधिक है। साफ है कि डिग्री पाने के लिए सेमेस्टर का पास प्रतिशत ही काफी नहीं होगा(शैलेन्द्र सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,10.12.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।