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15 दिसंबर 2010

राजस्थानःसरकारी निर्देश के बिना प्रवेश कैसे दें निजी स्कूल

शिक्षा अधिकार कानून (आरटीई) के तहत 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को प्रवेश देने के मामले में निजी स्कूल के संचालकों ने दलील है कि जब सरकार ने निर्देश ही जारी नहीं किए तो वे सीटें खाली क्यों रखें? स्टेप बाई स्टेप स्कूल की प्रिंसिपल जयश्री पेड़ीवाल कहती हैं, निशुल्क प्रवेश के लिए सरकार से कोई गाइडलाइन नहीं मिली। दूसरी तरफ पेरेंट्स वेलफेयर सोसायटी के संयोजक दिनेश कांवट का कहना है कि स्कूलों ने 25 प्रतिशत निशुल्क प्रवेश की तैयारी नहीं की है। इससे अभिभावकों को परेशानी हो रही है।

कहना है अभिभावकों का:
‘‘बिटिया शैली के प्रवेश के लिए कई स्कूलों में चक्कर काट चुकी हूं। कुछ स्कूलों में तो फॉर्म एक एक हजार रुपए में मिल रहे हैं। शिक्षा अधिकार कानून को लेकर किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी जा रही है। - पिंकी शर्मा, अभिभावक, नया खेड़ा

‘‘बेटी स्टेफी का स्कूल बदलना चाह रही हूं। कुछ निजी स्कूल वाले तो कह रहे हैं कि नियमित प्रवेश प्रक्रिया के दायरे में आने पर ही प्रवेश मिलेगा। आरक्षित कोटे को लेकर सरकार के निर्देश नहीं मिले हैं। - अर्चना पोद्दार, अभिभावक, शास्त्रीनगर

‘‘नियम तैयार हो रहे हैं। सभी संस्थानों को एक्ट के प्रावधान लागू करने के लिए भी पाबंद किया जाएगा। - मास्टर भंवरलाल, शिक्षामंत्री

‘‘नियम तैयार होने के बाद ही तो निजी स्कूलों को प्रवेश के लिए बाध्य किया जा सकता है। शुरुआत है, धीरे धीरे सबकुछ ठीक हो जाएगा। - सेवाराम स्वामी, कंपोनेंट प्रभारी, आरटीई

स्कूलों को ये हैं दिक्कतें

कई स्कूल चाहते हैं कि गरीब एवं पिछड़े बच्चों के लिए वे अलग से कक्षाएंलगाएं। वे सब बच्चों को साथ पढ़ाने के पक्ष में नहीं। संस्थानों का कहना है कि निशुल्क शिक्षा के एवज में सरकार की ओर से दी जाने वाली राशि बहुत कम। राशि दो किस्तों में मिलेगी। दूसरी किस्त तभी जब निशुल्क पढ़ने वाले छात्रों की उपस्थिति 80 प्रतिशत होगी। कुछ स्कूल चाहते हैं कि सरकार इन छात्रों को पढ़ाने के एवज में फीस बढ़ोतरी को मंजूरी दे। 

दून स्कूल में लागू है एक्ट: देश के नामी दून स्कूल (देहरादून) ने दो माह पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह एक्ट के अनुसार बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराएगी(दैनिक भास्कर,जयपुर,15.12.2010)।

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