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05 दिसंबर 2010

बेदाग कर्मचारी को तरक्की से वंचित न किया जाएःइलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शनिवार को अपने एक अहम फैसले में कहा कि बेदाग सेवा रिकॉर्ड वाले ऐसे सरकारी कर्मचारी को पदोन्नति देने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए जो इसके लिए योग्यता रखते हों। अदालत ने कहा है कि ऐसे कर्मचारी की जगह किसी अन्य कर्मी को समायोजित करने की नीयत से उसे पदोन्नति से वंचित किए जाने से वह हतोत्साहित होता है। न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह और न्यायमूर्ति बालकृष्ण नारायण की पीठ ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी डॉक्टर रक्षा गोस्वामी की याचिका मंजूर करते हुए अपने निर्णय में की है। अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को एक लाख रुपये का हर्जाना देने के निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार समेत अन्य पक्षकारों को निर्देश दिया कि वे याची को आयुर्वेद निदेशक के पद पर बहाल कर सभी हितलाभों समेत कार्य करने की इजाजत दें। अदालत ने याची की नियुक्ति आयुर्वेद निदेशक (पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन) पद पर करने संबंधी 29 अक्तूबर 2009 के आदेश को रद कर दिया। याची ने उस आदेश को चुनौती दी थी। दरअसल 23 सितंबर 2005 को याची को प्रोन्नति देकर कार्यवाहक आयुर्वेद निदेशक बनाया गया था और छह अगस्त 2007 को याची को आयुर्वेद निदेशक का प्रभार सौंपा गया था। याची का कहना है कि अन्यथा कारणों से उसे 23 सितंबर 2009 को निलंबित कर दिया गया। हाईकोर्ट ने 12 अक्तूबर 2009 को निलंबन संबंधी आदेश पर रोक लगा दी थी(दैनिक जागरण,लखनऊ,5.12.2010)।

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