उत्तराखंड की भाजपा सरकार केंद्र सरकार से पहले ही शहरी बेरोजगारों के लिए एक योजना शुरू करने की तैयारी में है। राज्य सरकार ने मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू करने का खाका खींच लिया है। ऐसा करने से निशंक सरकार और भाजपा को दो फायदे होंगे। एक तो उसे योजना शुरू करने का श्रेय हासिल होगा। साथ ही केंद्र के ऐसी योजना शुरू करने पर राज्य की योजना अपने आप केंद्रीय योजना में समाहित हो जाएगी। ऐसे में उसके खजाने पर बोझ भी नहीं पड़ेगा। उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने 2007 के विस चुनाव में ऐलान किया था कि वह राज्य के बेरोजगारों को भत्ता देगी। सरकार बनने के बाद घोषणा को मूर्तरूप देने की कवायद शुरू हुई तो तमाम सवाल खड़े हो गए। राज्य के छह लाख पंजीकृत बेरोजगारों को भत्ता देने के मानक क्या हों, धनराशि कितनी हो, इसे लेकर एक राय नहीं बन पाई। ऐसे में योजनाकारों ने मनरेगा की तर्ज पर शहरी बेरोजगारों के लिए नई योजना का विकल्प पेश किया। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव डीके कोटिया ने ऐसी योजना की पुष्टिकरते हुए कहा, इस पर गंभीरता से विचार हो रहा है। अंतिम निर्णय होना बाकी है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार भी भविष्य में ऐसी योजना शुरू करने वाली है(विकास धूलिया,दैनिक जागरण,देहरादून,18.12.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।