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07 दिसंबर 2010

छत्तीसगढ़ःअब नहीं होगी परीक्षा,नए फार्मूले से होगा मूल्यांकन

पहली से कक्षा आठवीं तक के बच्चों ने साल भर में स्कूल में क्या सीखा है और हर दिन वे क्लास रूम में क्या ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं, अब यह परीक्षा लेकर नहीं जाना जाएगा। राज्य शैक्षणिक अनुसंधान परिषद (एससीईआरटी) ने बच्चों के मूल्यांकन का फार्मूला तैयार कर लिया है। अब उसी के आधार पर बच्चों की योग्यता का पता लगाया जाएगा।

शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद पहली से कक्षा आठवीं तक फेल-पास का सिस्टम खत्म कर दिया गया। बच्चों को ए, बी और सी तीन ग्रेड दिए जाएंगे। यह उनकी योग्यता पर आधारित होगा। ग्रेडिंग तय करने के लिए विद्यार्थियों की योग्यता का मूल्यांकन किया जाएगा।

मूल्यांकन का आंकलन करने का फार्मूला बनाने की जिम्मेदारी एससीईआरटी को सौंपी गई थी। एससीआरटी ने विशेषज्ञों के जरिये फार्मूला तैयार कर लिया है। इसकी प्रति शिक्षा संचालनालय भेज दी गई है।

शिक्षा विभाग के जानकारों का कहना है कि फार्मूले को चालू शिक्षा सत्र से ही अमल में लाया जा सकता है। इसके लिए केवल शिक्षकों को ट्रेनिंग देने की जरूरत होगी। फार्मूला लेट होने के विषय में शिक्षा विभाग के विशेष सचिव और एससीईआरटी के चेयरमैन सुधीर अग्रवाल ने कहा कि यह एक कठिन जिम्मेदारी थी।

कई तरह की व्यावहारिक दिक्कतें थी। शिक्षकों ने फील्ड में कई दिन बच्चों के साथ गुजारकर उनकी गतिविधियों का आंकलन किया। उसके बाद फार्मूला तैयार किया गया। इस वजह से कुछ वक्त लगा।

ग्रेडिंग के फार्मूले में एससीईआरटी ने क्या-क्या किया :
दो बार कार्यशाला का आयोजन किया गया है। अगस्त में राज्य के 50 चुने हुए शिक्षकों को बुलाया गया। तीन दिन तक केवल इस बात पर चर्चा होती रही कि मूल्यांकन करने के लिए किन-किन बिदुओं को फार्मूले में शामिल किया जाए।इसके लिए कुछ बिंदु तय किए गए।

उसके बाद शिक्षकों ने एक-एक महीने अलग-अलग कक्षाओं के बच्चों की गतिविधियां देखीं। उनका सोचने-समझने का स्तर परखा गया। सितंबर के अंतिम सप्ताह में दूसरी बार कार्यशाला का आयोजन हुआ। उसमें फील्ड रिपोर्ट के आधार पर फार्मूले का औपचारिक स्वरूप बनाकर शासन को भेजा गया है।


शिक्षकों ने एक माह स्कूल में रहकर इन बिंदुओं पर किया सर्वे
*बच्चों से प्रोजेक्ट वर्क कराया गया। जैसे एक खेत के पांच साल की फसल की रिपोर्ट बनवायी गई।

*पालतू पक्षी के बारे में लिखवाया गया। उन्हें पालना जरूरी है या नहीं पूछा गया।

*बच्चों से निबंध कहानी व टिप्पणियां लिखवायी गईं। पेंटिंग बनवायी गईं।

*स्वास्थ्य के प्रति उनकी जागरूकता का परीक्षण किया गया।

*उनकी दिनचर्या के बारे में जानकारी ली गई(मोहम्मद निजाम,दैनिक भास्कर,रायपुर,7.12.2010)।

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