बिना पूरी तैयारी के आनन-फानन में शुरू किया गया रायपुर का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) फ्लाइंग प्रोफेसरों के भरोसे है। यहां सबसे बड़ी परेशानी पढ़ाने वाले प्रोफेसरों की कमी है।
नया सत्र शुरू होने के बावजूद अभी तक प्रोफेसरों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। मजबूरी में दूसरे आईआईएम से विजिटिंग प्रोफेसरों को फ्लाइट से बुलाना पड़ रहा है। इनके हवाई जहाज से आने-जाने और रहने का पूरा खर्च आईआईएम उठाता है।
तीन महीने में इस मद में आईआईएम सात लाख रुपए से ज्यादा राशि फूंक चुका है। आईआईएम रायपुर के डायरेक्टर बनाए गए विद्याधर सहाय को भी अब तक राजधानी में सरकारी बंगला नहीं मिला है।
इस वजह से वे फ्लाइट से रायपुर और गुड़गांव आना-जाना कर रहे हैं। इस संबंध में प्रबंधन का कहना है कि नया संस्थान है, व्यवस्थित होने में थोड़ा समय लगेगा। इस समय आईआईएम में दो-दो साल के दो डिप्लोमा कोर्स संचालित किए जा रहे हैं।
इसमें कुल 72 छात्र-छात्राएं हैं। दोनों कोर्स की सालाना फीस तीन- तीन लाख रुपए है। प्रोफेसरों की कमी से निपटने के लिए मेंटर इंदौर आईआईएम के चार प्रोफेसरों को यहां रखा गया है। अहमदाबाद, कोलकाता, इंदौर से हर हफ्ते एक या दो विजिटिंग प्रोफेसरों को विमान से बुलाया जाता है।
11 पद, 1600 आवेदन
आईआईएम (आर) में 11 प्रोफेसरों की भर्ती की जानी है। इसके लिए आवेदन भी मंगाए गए थे। इंदौर आईआईएम से मिली जानकारी के अनुसार खाली पदों के लिए 1600 से भी ज्यादा आवेदन आए हैं।
फिलहाल इनकी स्क्रूटनी का काम चल रहा है। जल्द ही शॉर्ट लिस्ट कर आवेदकों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। इसके लिए अभी एक माह का समय और लगेगा।
"छात्रों की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसलिए विजिटर्स प्रोफेसरों को बाहर से बुलाया जा रहा है। जल्द ही खाली पदों पर प्रोफसरों की नियुक्ति हो जाएगी।"जीएस बेदी, ओएसडी, आईआईएम रायपुर(असगर खान,दैनिक भास्कर,रायपुर,3.12.2010)
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