उर्दू, बांग्ला और उड़िया भाषा में इंटर 2010 की परीक्षा देने वाले 30 हजार विद्यार्थियों का एक साल बर्बाद हो गया। हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद इनकी उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन नहीं हुआ है। जबकि इनके साथ हिंदी व अंग्रेजी भाषा में परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों ने कॉलेज में दाखिला ले लिया है और उनकी कक्षाएं भी शुरू हो चुकी हैं। अब परिणाम घोषित भी होता है तो उन्हें अगले सत्र में ही कॉलेज में दाखिला मिल पाएगा।
क्या है मामला30 हजार विद्यार्थियों ने उर्दू, बांग्ला व उड़िया भाषा में इंटर की परीक्षा दी थी। जैक ने इन भाषाओं की कॉपी का मूल्यांकन कराने से इनकार कर दिया। इसके बाद शमीम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
दो बार जांच के आदेश
मदनी ने 18 मार्च 2010 को याचिका दायर की थी। 17 मई को हाईकोर्ट ने दो माह में मूल्यांकन के आदेश दिए। फिर अवमानना याचिका दायर की, जिस पर कोर्ट ने 30 सितंबर को एक माह में परिणाम घोषित करने को कहा था।
इस संबंध में सैयद शमीम अहमद मदनी ने झारखंड हाईकोर्ट में दोबारा अवमानना याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस भगवती प्रसाद व जस्टिस डीएन पटेल की खंडपीठ ने झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) के चेयरमैन और सचिव को अवमानना का नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी को होगी।
(दैनिक भास्कर,रांची,4.1.11)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।