बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिकार एक्ट 2009 के आलोक में राज्य सरकार ने प्राथमिक-मध्य विद्यालय के शिक्षकों के नियत वेतन में हजार रुपये का इजाफा तो किया है मगर इसी अनुपात में उनसे अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं। एक्ट, एक अप्रैल 2010 से प्रभावी हो चुका है। इसके तहत अब शिक्षकों को सप्ताह में 45 घंटे काम करना होगा। उनके प्राइवेट टयूशन या किसी कोचिंग संस्थान में पढ़ाने पर भी पाबंदी लगा दी गयी है। जो प्रावधान हैं, उनके मुताबिक एक शैक्षणिक वर्ष में कक्षा एक से कक्षा पांच तक के लिए 200 तथा कक्षा छह से आठ के लिए 225 कार्यदिवस निर्धारित है। एक्ट लागू होने के छह माह के अंदर 30:1 का छात्र-शिक्षक अनुपात हासिल करने की बात कही गयी है मगर इस दिशा में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है। चुनौतियों के इन मोर्चो को कैसे फतह किया जाये-यह मानव संसाधन विकास विभाग के लिए यक्ष प्रश्न है। विभाग के पास वर्तमान में स्थायी वेतनमान व नियत वेतनमान में जो शिक्षक हैं उनमें इजाफा करने के लिए सरकार ने पांच वर्षो में तीन लाख शिक्षकों को नियोजित करने का फैसला किया है। एक्ट में राज्य सरकारों को इसकी छूट दी गयी है। राज्य सरकार ने हाल के वर्षो में अप्रशिक्षित शिक्षकों को नियोजित किया है मगर एक्ट के अनुरूप उन्हें प्रशिक्षण दे पाना उसके लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है। मानव संसाधन विकास मंत्री पीके शाही के अनुसार सूबे में प्रशिक्षण संस्थानों की भारी कमी है। लिहाजा अंगीभूत कालेजों में शिक्षक प्रशिक्षण की व्यवस्था चालू करने की दिशा में पहल की गयी है। विभाग के स्तर पर जो भी पहल हुई है, एक्ट के प्रावधानों को लागू कर पाना उतना सहज नहीं है(अवनीन्द्र नाथ ठाकुर,दैनिक जागरण,पटना,10.1.11)।
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