सीसीटीवी कैमरे पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़े काम की चीज साबित हो रहे हैं। वहीं अपराधी और कामचोर प्रवृत्ति के लोगों के लिए यह मुसीबत बन जाते हैं। अब इसी तकनीक का फायदा नगर निगम अपने कामचोर अध्यापकों और कर्मचारियों पर लगाम लगाने में उठाने जा रहा है। नगर निगम के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले गुरुजी पर अब सीसीटीवी कैमरे की नजर रहेगी। यह व्यवस्था निगम विद्यालयों में शिक्षा की व्यवस्था को सुधारने के लिए की जा रही है। निगम द्वारा शुरु में इस व्यवस्था पर ५० लाख रुपए खर्च किए जाने की योजना है। शिक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ महेंद्र नागपाल ने बताया कि पिछले दिनों पूर्वी दिल्ली व दूसरे इलाकों में किए गए औचक निरीक्षण के में बहुत से शिक्षक अपनी ड्यूटी से गायब पाए गए थे। ऐसी स्थिति दोबारा नहीं आए इसके लिए प्राथमिक विद्यालयों में सीसीटीवी कैमेरे लगाए जा रहे हैं। पहले चरण में इसकी शुरुआत ७० विद्यालयों से की जा रही है। इसके बाद इस योजना को निगम के ११०० विद्यालयों में लागू किया जाएगा।
यह कैमरे इंटरनेट के द्वारा निगरानी केंद्र से जुड़े रहेंगे। इसके लिए नगर निगम के सभी विद्यालयों में एक-एक टेलीफोन कनेक्शन और इंटरनेट कनेक्शन की व्यवस्था की जा रही है। इस व्यवस्था पर नगर निगम द्वारा एक करोड़ ८० लाख रुपए खर्च किए जाने की योजना है। फिलहाल इस व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए अगले साल भी १५ लाख रुपए के बजट की व्यवस्था की जा रही है। निगम विद्यालयों में यह व्यवस्था २०११-१२ के सत्र में शुरु हो जाएगी। नगर निगम द्वारा राजधानी में साढ़े सत्रह सौ विद्यालयों का संचालन किया जाता है। इनकी निगरानी रखना भी बड़ा काम है। आए दिन शिक्षकों के ड्यूटी से गायब रहने की शिकायतें मिलती रहती हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए विद्यालयों में बायोमेट्रिक प्रणाली द्वारा हाजिरी की व्यवस्था की जा रही है। लेकिन हाजिरी लगाने के बाद शिक्षकों के गायब हो जाने या फिर विद्यालय में ही शिक्षण के बजाय दूसरे काम करने की प्रबृत्ति पर रोक लगाना संभव नही था।
उधऱ, प्राथमिक विद्यालयों की तरह अब निगम के नर्सरी विद्यालयों के बच्चों को भी वर्दी दी जाएगी। इसमें जूते, कपड़े, टोपी, मोजे आदि शामिल होंगे। इसके लिए हर बच्चे को ५०० रुपए का नकद भुगतान किया जाएगा। शिक्षा समिति ने निगम विद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को मिलने वाली २०० रुपए की प्रोत्साहन राशि को भी बढ़ाकर ५०० रुपए करने की घोषणा की है।
शिक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ महेंद्र नागपाल ने बताया कि नगर निगम की इस योजना से नर्सरी विद्यालयों में पढ़ने वाले लगभग ४७ हजार बच्चे लाभान्वित होंगे। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति व जनजातियों के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों की तरह छात्रवृत्ति के रुप में एक हजार रुपए की नकद राशि भी दी जाएगी। वहीं प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को भी लाभ होगा।
नगर निगम द्वारा अपने विद्यालयों में अब सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। इससे बिजली के ऊपर निर्भरता कम होगी व बिजली जाने की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा। निगम द्वारा आने वाले साल के बजट में इस मद में पांच करोड़ की राशि खर्च किए जाने का प्रस्ताव है। किराए पर चल रहे विद्यालय भवनों के रखरखाव और सुरक्षा पर पहली बार खर्च करने के लिए बजट में प्रस्ताव किया गया है। डॉ नागपाल के मुताबिक ऐसी १५० इमारतें हैं। विश्व बैंक द्वारा भी इस तरह के कामों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इस मद में फिलहाल ढाई करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
विद्यालयों में बायोमेट्रिक व्यवस्था पर इस साल ३० लाख रुपए खर्च किए जाने की योजना है। जबकि अगले साल एक करोड़ रुपए खर्च किए होंगे। विद्यालयों में सीसीटीवी पर इस साल ५० लाख और अगले साल १५ लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। हर स्कूल में इंटरनेट और टेलीफोन कनेक्शन लगाने के लिए एक करोड़ ८० लाख रुपए का बजट रखा गया है। छात्र-छात्राओं को स्कूल बैग देने के लिए ढाई करोड़ और यात्राओं पर ले जाने के लिए दो करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। शिक्षा समिति द्वारा प्रचार-प्रसार के लिए इस साल १० लाख रुपए और अगले साल के लिए २५ लाख रुपए की व्यवस्था की गई है। यह निर्णय पिछले सप्ताह हुई शिक्षा समिति की बैठक में लिए गए(हीरेन्द्र सिंह राठौड़,नई दुनिया,दिल्ली,2.1.11)।
बहुत अच्छी योजना है। जानकारी के लिये धन्यवाद।
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