दिल्ली में शनिवार से नर्सरी में दाखिला कराने के लिए अभिभावकों की भागदौड़ शुरू हो गई। स्कूलों में पंजीकरण के पहले ही दिन सीटों से अधिक फॉर्म बेचे गए। यही नहीं स्कूल अभिभावकों को जोर-जबरदस्ती फॉर्म के साथ अधिक कीमत में प्रोस्पेक्टस भी थमा रहे हैं। कैलाश कॉलोनी में तय समय से पहले ही फॉर्म बंद करने से अभिभावकों ने हंगामा भी किया।
नर्सरी दाखिलों के पहले ही दिन अभिभावकों को बहुत दिक्कतें आई। कहीं बच्चे की उम्र को लेकर समस्या हुई तो कहीं फॉर्म नहीं मिला और तो और फॉर्म के साथ ५०० रूपए का प्रोस्पेक्टस लेना भी अभिभावकों की मजबूरी बना। आर.के. पुरम के रामजस पब्लिक स्कूल प्रबंधन के मुताबिक १३५ सीटों के लिए पहले ही दिन १५० फॉर्म की बिक्री हुई है। पीतमपुरा के एम.एम. पब्लिक स्कूल में १०० सीटों के लिए १२५ फॉर्म बेचे गए। डीपीएस, संस्कृति और एपीजे स्कूलों ने अपने पंजीकरण ऑनलाइन ही रखे थे। समरफील्ड स्कूल ने अभिभावकों के लिए विज्ञापन में फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के आधार पर फॉर्म रखे। फॉर्म बिक्री का समय सुबह ९ बजे से दोपहर १ बजे तक रखा गया। लेकिन १२ बजे ही स्कूल का गेट बंद कर दिया गया। अभिभावकों ने स्कूल के बाहर हंगामा भी किया लेकिन स्कूल ने फॉर्म खत्म होने की बात कही।
स्कूलों ने हर बार के शिक्षा निदेशालय के निर्देशों के बाद भी २५ रूपए के फॉर्म को ५०० रूपए तक प्रॉस्पेक्टस के साथ बेचा। शिक्षा के अधिनियम के मुताबिक फॉर्म को २५ ヒपए से अधिक मैक्स फोर्ट रोहिणी ने ३०० रूपए का प्रास्पेक्टस बेचा। बिना प्रास्पेक्टस अभिभावकों को फॉर्म नहीं दिया गया। पश्चिम विहार के इंद्रप्रस्थ वर्ल्ड स्कूल में फॉर्म लेने गई एकता सेठ ने बताया कि स्कूल ने प्रॉस्पेक्टस को अनिवार्य किया हुआ था। जब अभिभावकों ने मिलकर स्कूल प्रबंधन पर दबाव बनाया तो ४७५ ヒपए लौटाए गए लेकिन पर्ची के पीछे २५ रूपए लिख दिया गया। अभिभावकों का कहना है कि हो सकता है स्कूल जानबूझ कर उन फॉर्म को अलग निकाल दे और उन्हें ना चुने। इसी तरह हंसराज स्कूल, केआर मंगलम, आईटीएल द्वारका और आईटीआई वेंकटेश स्कूल में भी ५०० ヒपए के प्रॉस्पेक्टस बेचे गए। टेगोर इंटरनेशनल स्कूल ने भी १०० रूपए का प्रास्पेक्टस बेचा। नर्सरी जानकारी देने वाले फोरम एडमिशन्स नर्सरी डॉट कॉम के फाउंडर सुमित वोहरा ने बताया कि दिशा-निर्देशों के बाद भी स्कूल पूरी तरह से अपनी मनमानी पर उतारू हैं। कैलाश कॉलोनी के समरफील्ड स्कूल ने आज ही विज्ञापन दिया और पहले ही दिन समय से पहले फॉर्म देने बंद कर दिए(नई दुनिया,दिल्ली,2.1.2011)।
जब सरकार ही कुछ करना न चाहे तो यही होगा। धन्यवाद।
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