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11 जनवरी 2011

बिहार में अभियंताओं के 5,000 पद रिक्त

बिहार में विकास की बहती बयार के बीच यह खबर चुभने वाली है कि राज्य में अभियंताओं का अकाल है। आंकड़ों के मुताबिक बिहार में कनीय से लेकर प्रमुख अभियंता के 12886 पद सृजित हैं, लेकिन फिलहाल 7574 ही काम कर रहे हैं। यानी 5312 अभियंताओं के पद रिक्त पड़े हैं। यह सिलसिला वर्षो से कायम है। तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के कार्यकाल (1979) में गणतंत्र दिवस पर एक साथ छह हजार अभियंताओं की रिकार्ड बहाली हुई थी। फिर वैसी बहाली नहीं हुई जबकि निर्माण कार्यो की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, राज्य में अभियंताओं के तीन कैडर हैं पथ निर्माण, जल संसाधन और पीएचइडी। उत्तर बिहार में केवल जल संसाधन विभाग मुजफ्फरपुर के अंतर्गत 389 की जगह मात्र 263 अभियंता काम कर रहे हैं। यहां 122 पद रिक्त चल रहे हैं। इस बारे में पूछे जाने पर बेसा के प्रक्षेत्रीय सचिव ई रामस्वार्थ साह का कहना है कि अभियंताओं की कमी से समय पर काम पूरा नहीं होता है। वर्षो से रिक्त पदों पर भर्ती की सिर्फ औपचारिकताएं पूरी की गई हैं। मसलन 1987 में 209, 1988 में 195, 1989 में 56, 1991 से 95 तक 55 व अगस्त 2008 में 151 अभियंताओं की बहाली हुई। अभियंत्रण सेवा समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजेश्वर मिश्रा का कहना है कि वर्क लोड के अनुसार अभियंताओं के पदों का सृजन होना चाहिए(सुजीत कुमार,दैनिक जागरण,मुजफ्फरपुर,11.1.11)।

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