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12 जनवरी 2011

दिल्लीःप्री प्राइमरी शिक्षा मामले में अवमानना याचिका खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार पर अवमानना के लिए कार्यवाही करने संबंधी एक याचिका खारिज कर दी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि दिल्ली सरकार ने कुछ निजी स्कूलों द्वारा कोर्ट के पूर्व के आदेश के अनुसार प्री-प्राइमरी कक्षा में बच्चों के दाखिले की न्यूनतम उम्र चार वर्ष न किए जाने के बावजूद उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की, इसलिए उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाए।

याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि अगर किसी बालक या बालिका को चार साल से कम आयु में प्री-स्कूल शिक्षा (नर्सरी) में दाखिला दिया जाता है तो सरकार इसे उस बच्चे की औपचारिक शिक्षा के हिस्से के तौर पर शामिल नहीं मानेगी।

दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में यह भी स्पष्टीकरण दिया है कि प्री-प्राइमरी शिक्षा एक साल के लिए होगी न कि दो साल के लिए। सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने इसके पहले हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा नर्सरी कक्षा दाखिले की प्रक्रिया तय करने संबंधी जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान 2007 में भी यही रुख अपनाया था।


जस्टिस जीएस सिस्टानी ने एक गैर सरकारी संस्था एनजीओ द्वारा दाखिल अवमानना की याचिका खारिज करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के खिलाफ अवमानना की याचिका पर कोई सुनवाई नहीं बनती है। इसके पहले एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट ने हाईकोर्ट में अपनी अवमानना याचिका पर दाखिल हलफनामे में कहा था कि दिल्ली सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह प्री-स्कूल शिक्षा के लिए एक नियामक तंत्र की स्थापना करेगी। 


हलफनामे में कहा गया था कि दिल्ली सरकार ने यह आश्वासन दिया था कि शिक्षा विभाग प्रत्येक जिले में एक मॉनीटरिंग तंत्र की स्थापना करेगा, ताकि उसके द्वारा की गई अनुसंशाओं और आदेशों के प्रभावी तरीके से पालन को सुनिश्चित किया जा सके और प्री-स्कूलों नर्सरी के छात्रों को प्री-प्राइमरी कक्षा केजी में दाखिले के समय प्राथमिकता न दी जाए। 

शिक्षा विभाग ने सरकार को यह आश्वासन भी दिया है कि वह अगले तीन सालों के अंदर सभी सरकारी स्कूलों में एक साल की प्री-प्राइमरी शिक्षा की व्यवस्था करेगा। इसके लिए उसे अतिरिक्त संख्या में कक्षाओं और शिक्षकों की जरूरत पड़ेगी। 

साल 2007 में हाईकोर्ट ने नर्सरी स्कूलों के दाखिले के मामले में आदेश दिया था कि प्री-प्राइमरी शिक्षा एक साल की होगी, दो साल की नहीं। 

हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में याचिकाकर्ता सोशल ज्यूरिस्ट के वकील अशोक अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि सरकार अशोक गांगुली समिति समेत कोर्ट द्वारा दिए गए पूर्व के दिशा-निर्देशों को लागू करने में असफल रही है, जिसने स्कूलों पर प्री-प्राइमरी कक्षाओं में चार साल से कम आयु के बच्चों के दाखिले पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। 

गौरतलब है कि सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह उसके दिशा-निर्देशों को शैक्षणिक सत्र 08-09 में लागू करेगी। लेकिन, आज तक सरकार इसे लागू करने में असफल रही है। 

याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली के निजी स्कूल तीन साल, यहां तक कि दो साल के बच्चों के दाखिले भी प्री-प्राइमरी स्कूलों के लिए कर रहे हैं, जो कोर्ट के आदेश के विपरीत है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,12.1.11)।

दैनिक जागरण,दिल्ली संस्करण की रिपोर्टः
अच्छे स्कूल में नर्सरी में अपने बच्चे के दाखिले के बाद अगर आप निश्चित हो चुके हैं तो आपके लिए बुरी खबर है। उच्च न्यायालय में दायर हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा है कि प्री स्कूल यानी नर्सरी में दाखिला मुख्य पढ़ाई का हिस्सा नहीं है। नर्सरी के बाद प्री-प्राइमरी में दाखिले के लिए अभिभावकों को दोबारा दाखिला प्रक्रिया से गुजरना होगा। स्कूल प्रशासन किसी बच्चे को केवल इस आधार पर तरजीह नहीं दे सकता कि उसने उसी स्कूल से पहले पढ़ाई की है। साथ ही माना कि प्री-प्राइमरी में दाखिले की उम्र चार साल से कम नहीं होनी चाहिए। सरकार के इस हलफनामे के बाद उच्च न्यायालय ने अदालत की अवमानना को लेकर दायर याचिका का निपटारा कर दिया है। इस याचिका में कहा गया था कि निजी स्कूलों में प्री-प्राइमरी में चार साल के बाद ही बच्चों के दाखिले के नियम का दिल्ली सरकार पालन नहीं करवा पा रही है। सरकार ने इस बारे में पूर्व में दिए गए अपने हलफनामे पर कायम रहने की बात कही है। इससे एक बात साफ हो गई है कि जिस स्कूल में आपका बच्चा प्री स्कूल यानी नर्सरी में पढ़ रहा है। उसी में अगले साल प्री-प्राइमरी में सीधा दाखिला मिले, यह जरूरी नहीं है। इन स्कूलों के नर्सरी में पढ़ रहे बच्चों को भी बाहरी बच्चों की तरह दाखिले की सामान्य प्रक्रिया से गुजरना होगा। याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार ने एक बार फिर कहा कि वह अभी भी पुराने हलफनामे पर अमल कर रहे हैं। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने करीब 21 स्कूलों की सूची सौंपते हुए कहा, इन स्कूलों में नर्सरी की पढ़ाई हो रही है और नर्सरी में पढ़ रहे बच्चों को सीधा प्री-प्राइमरी में दाखिला दे दिया जाएगा। इसका विरोध करते हुए दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इन स्कूलों ने अपने विज्ञापन में कहीं नहीं लिखा है कि नर्सरी में पढ़ रहे बच्चों को वे प्री-प्राइमरी में दाखिला दे ही देंगे। 2007 में भी दायर किया था हलफनामा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने तीन सितंबर, 2007 को हलफनामा दायर किया था। इसमें बताया गया था कि सभी सरकारी, निजी व अन्य स्कूलों में पहली कक्षा से पहले की पढ़ाई को एकरूपता देते हुए एक साल का बनाया जाएगा। इसे प्री-प्राइमरी नाम दिया जाएगा। इसके लिए 31 मार्च तक बच्चे की न्यूनतम उम्र चार साल होनी चाहिए। वहीं पहली कक्षा में दाखिले के समय 31 मार्च तक बच्चे की उम्र पांच साल पूरी होनी चाहिए। यह मुख्य पढ़ाई का हिस्सा नहीं होगी और न ही इसे प्री-प्राइमरी में दाखिला देने का आधार माना जाएगा। अदालत की अवमानना का आरोप सोशल ज्यूरिस्ट, ए सिविल राइट ग्रुप ने याचिका दायर की थी कि प्री-प्राइमरी शिक्षा को एक साल बनाने व चार साल पर ही बच्चे को स्कूल में दाखिला देने के संबंध में हलफनामे का सरकार पालन नहीं कर रही है।

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