होम्योपैथी के अंतर्गत फार्मेसिस्टों के दो वर्षीय डिप्लोमा प्रोग्राम संचालित करने को सरकार ने अनुमति दी है। कोर्स के संचालन का जिम्मा होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड उत्तराखंड का सौंपा गया है। प्राइवेट कालेजों को अपने यहां इस कोर्स को शुरू करने से पहले बोर्ड के मानक पूरा कर शासन से मंजूरी लेनी होगी। होम्योपैथी में बेहतर भविष्य को देखते हुए फार्मेसिस्टों की आवश्यकता अरसे से महसूस की जा रही थी लेकिन राज्य में ऐसा कोई रेगुलर पाठ्यक्रम नहीं था, जिससे इसकी भरपाई हो। इस बारे में होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड लंबे समय से सरकार से मांग करती आ रही थी। अब इस संबंध में शासनादेश जारी किया गया है। प्रमुख सचिव आयुष राजीव गुप्ता की ओर से जारी आदेश के मुताबिक डिप्लोमा प्रोग्राम की संबद्धता, मान्यता, परीक्षा का संचालन व रजिस्ट्रेशन होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड करेगा। प्रवेश प्रक्रिया भी बोर्ड रजिस्ट्रार कराएंगे। पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए अर्हता इंटरमीडिएट (जीव विज्ञान, भौतिकी व रसायन विज्ञान) रखी गई है। डिप्लोमा की फीस अभी निर्धारित नहीं की गई है। इस बारे में बोर्ड शासन को शीघ्र प्रस्ताव भेजेगा। इसके बाद फीस तय की जाएगी। बोर्ड रजिस्ट्रार द्वारा गठित समिति के निरीक्षण, समिति व विभागीय निदेशक की संस्तुति और शासन की मंजूरी के बाद ही निजी संस्थानों को यह कोर्स संचालित करने की अनुमति मिलेगी(दैनिक जागरण,देहरादून,30.1.11)।
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