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05 जनवरी 2011

बिहार में कुलपति और व्याख्याता बहालीःसरकार और राजभवन आमने-सामने

कुलपतियों की नियुक्ति और कॉलेज-विवि शिक्षकों के रिक्त पदों पर बहाली को लेकर नीतीश सरकार और राजभवन आमने-सामने हैं। सोमवार को राज्य के मानव संसाधन विकास मंत्री प्रशांत कुमार शाही ने एक आदेश में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों-प्रतिकुलपतियों के रिक्त पदों पर होनेवाली नियुक्ति और विश्विविद्यालयों के तहत शिक्षकों के रिक्त पदों पर बहाली पर रोक लगा दी है।

विश्वविद्यालयों और कॉलेज शिक्षकों के रिक्त पदों पर बहाली पर रोक के संबंध में सभी कुलपतियों को आदेश जारी कर दिए गए हैं। कुलपतियों की नियुक्ति के संबंध में परामर्श के लिए मंत्री ने पत्र लिखकर राज्यपाल से समय की मांग की है। कुलपतियों को जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार चाहती है कि शिक्षकों के पद पर योग्य उम्मीदवारों की बहाली की जाए। इसके लिए मार्च में होनेवाने विधानमंडल के बजट सत्र में एक कानून भी लाया जाएगा जिसके तहत विवि शिक्षकों की बहाली के लिए कोई स्वतंत्र संस्था का गठन किया जएगा। तब तक विश्वविद्यालय स्तर पर किसी भी तरह की बहाली की प्रक्रिया पर रोक रहेगी।

मंत्री पीके शाही ने बताया कि राज्यपाल से उन्होंने समय मांगा है ताकि कुलपतियों की नियुक्ति के संबंध में परामर्श किया जा सके। शाही ने कहा कि कुलपतियों की नियुक्ति के संबंध में राज्य सरकार के परामर्श पर निर्णय लेना राज्यपाल की कानूनी बाध्यता है। इससे ठीक एक दिन पहले रविवार को जदयू के राज्यसभा सांसद शिवानंद तिवारी ने पीके शाही को पत्र लिखकर कुलपतियों की संभावित नियुक्ति में धांधली और पैसे के लेनदेन की आशंका प्रकट की थी।


उन्होंने कुलपतियों की बहाली का अधिकार दिए जाने पर भी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा था कि पैसे का लेनदेन कर कुलपति बननेवाले शिक्षक बहाली के जरिए अपनी लागत की वापसी की भरसक कोशिश करेंगे। तिवारी ने शिक्षकों की नियुक्ति में मात्र 30 फीसदी अंक शैक्षिक योग्यता के लिए और बाकी का 70 फीसदी अंक साक्षात्कार के लिए रखे जाने पर भी गहरी आपत्ति जताते हुए पत्र में 2003 में इस आधार पर शिक्षकों की बहाली की निगरानी जांच का उदाहरण भी दिया है।
(दैनिक भास्कर,पटना,5.1.11)

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