कार्यपरिषद से न्याय की आस लगाए बैठे गौतमबुद्ध प्राविधिक विवि (जीबीटीयू) के कर्मचारियों को शनिवार को तगड़ा झटका लगा। दस वर्षो से कार्यरत कर्मचारी विनियमितीकरण की बाट जोहे बैठे थे और कार्यपरिषद ने इन पदों पर नये सिरे से भर्ती की मुहर लगा दी। जीबीटीयू के कुलसचिव यूएस तोमर का कहना है कि कार्यपरिषद ने अंतिम फैसला कर लिया है। कर्मचारियों को उनकी सेवा और तकनीकी विवि में अनुभव के आधार पर वरीयता दी जाएगी। जीबीटीयू कर्मचारी विनियमितीकरण या राज्य कर्मचारियों के बराबर वेतनमान दिए जाने और कुलसचिव यूएस तोमर को हटाने की मांग को लेकर तकरीबन 50 दिनों से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मामले में कर्मचारियों को एक दिन गिरफ्तार भी किया जा चुका है। कर्मचारियों के इतने लंबे समय से हड़ताल के मसले पर फैसले के लिए जीबीटीयू प्रशासन ने कार्यपरिषद की आकस्मिक बैठक शनिवार को बुलाई। इसमें प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा वृन्दा स्वरूप, प्रमुख सचिव वित्त बीएस भुल्लर, आइआइटी कानपुर के निदेशक संजय गोविंद धांडे और आइआइटी रुड़की के निदेशक एससी सक्सेना मौजूद रहे। बैठक की अध्यक्षता कुलपति प्रो.कृपाशंकर ने की। कुलसचिव ने बताया कि कार्यपरिषद ने विज्ञापन के जरिए नियमानुसार नियुक्ति की चयन प्रक्रिया का निर्णय लिया है। चयन प्रक्रिया में कर्मचारियों को वरीयता दी जाएगी। उधर, आइईटी कर्मचारियों के वेतनमान को अनुमोदित कर दिया गया है। जीबीटीयू कर्मचारियों ने इस निर्णय के विरोध में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मीडिया प्रभारी वीरेन्द्र दीक्षित का कहना है कि जीबीटीयू प्रशासन कर्मचारियों को आत्मदाह करने के लिए मजबूर कर रहा है। अब यही एक मात्र रास्ता बचा है(दैनिक जागरण,लखनऊ,30.1.11)।
प्रशासन को सहानुभूति पूर्वक विचार करना चाहिए!
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