केंद्रीय उच्चतर शिक्षण संस्थानों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने महत्वपूर्ण निर्णय किये हैं। यूजीसी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में छात्र एवं शिक्षक का अनुपात के साथ ही प्रवक्ता, वरिष्ठ प्रवक्ता, रीडर एवं प्रोफेसर पद के लिए शिक्षण की न्यूनतम अवधि भी तय कर दी है। यूजीसी की इस पहल से देश भर के समस्त केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षण एवं कर्मचारियों के अनुपात के अंतर्सबंधों की समीक्षा की जा सकेगी। कमेटी प्रत्येक विश्वविद्यालय से छात्र-शिक्षक अनुपात भी पूछेगी। विवि अनुदान आयोग की वेबसाइट पर इस आशय की सूचना जारी कर दी गई है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए गठित प्रो.जेएके तारीन कमेटी ने छात्र-शिक्षक अनुपात के लिए जो आंकड़े निर्धारित किये हैं, उनके मुताबिक परास्नातक कक्षाओं के लिए विज्ञान संकाय में 15 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए। समाजिक एवं मानविकी विषयों के लिए आयोग ने 20 छात्रों पर एक शिक्षक का मानक तय किया है। वाणिज्य एवं प्रबंधन कक्षाओं के लिए भी 20 छात्रों पर एक शिक्षक रहेगा। मीडिया स्टडीज के लिए 15 छात्रों पर एक शिक्षक की नियुक्ति होनी चाहिए। स्नातक कक्षाओं के लिए सामाजिक विज्ञान में 40 छात्रों पर एक शिक्षक, विज्ञान में 30 छात्रों पर एक शिक्षक, जनसंचार में 25 छात्रों पर एक शिक्षक तथा बीएड एवं शिक्षा से जुड़े कोर्स के लिए एनसीटीई के मानकों के अनुरूप छात्र-शिक्षक संख्या तय करने की बात कही गई है। नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.केपी मिश्रा के अनुसार विवि अनुदान आयोग ने विवि में वर्ष भर में कम से कम 180 दिवसों में शिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही है। विवि में स्थाई शिक्षकों के लिए पांच घंटे परिसर में रहने की बाध्यता भी कर दी है। लेक्चर, सीनियर लेक्चरर को सप्ताह भर में 16 घंटे एवं रीडर व प्रोफेसर के लिए 14 घंटे शिक्षण कार्य करना अनिवार्य कर दिया गया है(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,14.1.11)।
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