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14 जनवरी 2011

निजी मेडिकल कॉलेजों की लॉबी ने सरकार को झुकाया

मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा का मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। इस मामले में हैदराबाद में राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में दक्षिण भारत के निजी मेडिकल कॉलेजों की बेहद मजबूत लॉबी का दबदबा साफ दिखा।

संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लागू हो जाने पर इन मेडिकल कॉलेजों का डोनेशन से मालामाल होने का धंधा मारा जाता। हैदराबाद में गुरुवार को लिए गए फैसले से एमसीआई के सदस्यों के लिए बगलें झांकने की नौबत आ गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मर्जी के बगैर ही एमसीआई ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा की अधिसूचना जारी कर दी थी। साथ ही एमसीआई के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य मूछों पर ताव देकर कह रहे थे कि वे किसी भी सूरत में अधिसूचना वापस नहीं लेंगे। राज्यों को इस प्रस्ताव पर राजी करने के लिए खुद बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. एसके सरीन हैदराबाद में थे। उन्होंने राज्यों को समझाने की कोशिश की कि मेडिकल एजुकेशन की गुणवत्ता के लिए यह सुधार जरूरी है। राज्यों के प्रतिनिधियों ने उन पर सवालों की झड़ी लगा दी। डॉ. सरीन उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाए। खास कर गुजरात, तमिलनाडु एवं कर्नाटक की तरफ से सबसे कड़ा विरोध हुआ। हैदराबाद घोषणापत्र में इतना ही कहा गया है कि प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा हुई। सर्वसम्मत फैसला हुआ कि राज्यों के विचारों को जानने के लिए इस मुद्दे पर आगे भी चर्चा की जाएगी। इस सम्मेलन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद भी शामिल हुए। इस प्रस्ताव को लागू करना इसलिए टेढ़ी खीर है, क्योंकि केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण सहयोगी दल डीएमके को यह कत्तई मंजूर नहीं। निजी मेडिकल कॉलेजों की लॉबी के पोषक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि और उनकी धुर विरोधी जयललिता, दोनों को संयुक्त प्रवेश परीक्षा मंजूर नहीं। दोनों इसके विरोध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिख चुके हैं। कर्नाटक की निजी मेडिकल कॉलेजों की एक लॉबी तो इतनी मजबूत है कि वह एमसीआई के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में अपने तीन नुमाइंदों को स्थापित करने में सफल रही है। इस मुद्दे की वजह से बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की खासी भद पिटी है। पहले तो इसने बड़े तामझाम के साथ संयुक्त प्रवेश परीक्षा को ऐतिहासिक सुधार बताया। अति उत्साह में स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुमति लिए बगैर अधिसूचना जारी कर दी। बाद में मंत्रालय के आदेश पर उसे पिछले सप्ताह अधिसूचना को वापस लेना पड़ा(धनंजय,नई दुनिया,दिल्ली,14.1.11)।

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