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14 जनवरी 2011

पाठ्य सामग्री ही नहीं,प्रश्नपत्र भी इंटरनेट पर उपलब्ध होंगे

इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी समेत दूसरे उच्च व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की महंगी पाठ्य-पुस्तकों व परीक्षा के मौसम में सस्ती कुंजियों का भी दौर खत्म होगा। इंटरनेट पर पढ़ाई व डिजिटल क्लासरूम के साथ उच्च शिक्षा के सारे पाठ्यक्रमों का ई-कंटेंट ही नहीं, बल्कि उससे जुड़े सभी संभावित सवाल भी इंटरनेट पर उपलब्ध होंगे। एजेंडे पर फिलहाल सबसे पहले प्रौद्योगिकी व इंजीनियरिंग की पढ़ाई है। सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी मिशन के तहत ई-कंटेंट तैयार करने की पहल प्रगति पर है। फिलहाल प्रौद्योगिकी व इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के ई-कंटेंट तैयार हो रहे हैं। छात्रों को अगले दो-तीन वर्षों में इन पाठ्यक्रमों की सारी सामग्री इंटरनेट पर उपलब्ध होने की उम्मीद की जा सकती है। यदि कार्यक्रम एक बार सफलतापूर्वक चल पड़ा तो फिर दूसरे उच्च व्यावसायिक पाठ्यक्रमों (प्रोफेशनल कोर्सेज) के ई-कंटेंट की भी राह आसान हो जाएगी। सूत्रों का कहना है कि ई-कंटेंट के साथ ही उससे जुड़े संभावित सवालों का बैंक भी बनाने की पहल की गई है। इसके पीछे मंशा जहां छात्रों को महंगी किताबों से निजात दिलाना है, वहीं बाजार में उपलब्ध आधे-अधूरे ज्ञान वाले सवालों व जवाबों से दूर रखना भी है। ऐसा करने से क्या छात्र किसी विषय पर गहन अध्ययन के बजाय सीधे सवालों-जवाबों के आसान रास्ते को नहीं अपनाएंगे? सूत्र इस आशंका को खारिज करते हैं। उनका कहना है कि इंटरनेट पर पाठ्यक्रम से जुड़े किसी एक अध्याय से संभावित सवालों की ही जानकारी होगी, जबकि उनके जवाबों के लिए छात्रों को गहन अध्ययन करना ही होगा। बताते हैं कि ई-लर्निग के तहत छात्रों को अपने सवालों के ऑनलाइन उत्तर की भी सुविधा उपलब्ध है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की साक्षात वेबसाइट इस मामले में कारगर साबित हो रही है। गौरतलब है कि इंटरनेट पर ई-कंटेंट के जरिए उच्च शिक्षा के विस्तार के तहत ही विश्वविद्यालयों के अलावा दूसरे उच्च शिक्षण संस्थानों को भी आप्टिकल फाइबर केबिल के जरिए ब्रांड बैंड कनेक्शन से जोड़ा जा रहा है। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनल) तो बीते दिसंबर तक 210 विश्वविद्यालयों को इस कनेक्शन से जोड़ भी चुका है। विश्वविद्यालयों को एक जीबीपीएस (गीगाबाइट पर सेकंड) और कॉलेजों को 512 केबीपीएस (किलोबाइट पर सेकंड) का कनेक्शन दिया जा रहा है। जबकि नेशनल नॉलेज नेटवर्क उच्च तकनीकी संस्थानों को जोड़ रहा है(राजकेश्वर सिंह,दैनिक जागरण,दिल्ली,14.1.11)।

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