राजस्थान यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह का खर्चा संबद्ध 866 कॉलेजों के अंतिम वर्ष में पढ़ रहे सवा लाख स्टूडेंट्स को उठाना पड़ेगा, जिनमें 44 हजार बीएड वाले शामिल हैं। प्रत्येक को इस मद में 200 रुपए देने होंगे। इस बारे में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसी हफ्ते कॉलेज संचालकों को एक नया आदेश भेजा है।
यह पहला मौका होगा जब बीएड और डिग्री कॉलेजों के स्टूडेंट्स से दीक्षांत समारोह की फीस ली जाएगी। कॉलेज संचालकों ने बताया कि जुलाई 2010 में यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ इंस्पेक्शन (बीओआई) ने निर्णय लिया था कि प्रत्येक स्टूडेंट से दीक्षांत समारोह के मद में 400 रु. लिए जाएंगे। संचालकों ने इसका विरोध किया तो मामला पांच महीने शांत रहा। अब यूनिवर्सिटी ने दोबारा एक आदेश में कहा है कि फीस घटाकर 200 रु. कर दी गई है। कॉलेज प्रबंधन स्टूडेंट्स से लेकर यूनिवर्सिटी में जमा कराएं।
ढाई करोड़ की अतिरिक्त आय: यूनिवर्सिटी के अधिकारी स्वीकार कर रहे हैं कि इस फीस से यूनिवर्सिटी को हर वर्ष ढाई करोड़ रु. की अतिरिक्त आय होगी। यूनिवर्सिटी हर वर्ष 30 हजार रेगुलर स्टूडेंट्स से दीक्षांत समारोह के नाम पर फीस लेती आई है, लेकिन आठ वर्षो में केवल दो ही दीक्षांत समारोह (2009 में) हुए हैं।
पौने चार लाख डिग्रियां छपना बाकी: राजस्थान यूनिवर्सिटी में 1998 से लेकर 2010 तक की स्नातक, स्नातकोत्तर की डिग्रियां छपने का काम पेंडिंग है। इनकी संख्या पौने चार लाख है। यूनिवर्सिटी के एकेडमिक प्लानर के अनुसार नवंबर 2010 के प्रथम सप्ताह में दीक्षांत समारोह प्रस्तावित था, लेकिन डिग्रियां नहीं छपने की वजह से आयोजित नहीं हो सका।
दीक्षांत समारोह से हमारा क्या लेना-देना: बीएड कॉलेज और डिग्री कॉलेज के स्टूडेंट्स की नाराजगी है कि जिस समारोह में उनको आमंत्रित तक नहीं किया जाता, उसके लिए रुपए क्यों दें। वैसे भी दीक्षांत समारोह में पीएचडी धारकों का सम्मान होता है, तो बीएड और स्नातक स्टूडेंट्स का क्या काम।
जबरदस्ती वसूली ठीक नहीं: सीधी-सी बात है कि दीक्षांत समारोह में बीएड और डिग्री कॉलेजों के स्टूडेंट्स का कोई लेना-देना नहीं होता। ऐसे में दीक्षांत समारोह के नाम पर फीस चार्ज करेंगे तो स्टूडेंट्स का विरोध करना स्वाभाविक है। उनसे जबरदस्ती रुपए वसूलना मैं तो ठीक नहीं समझता। - एलसी भारतीय, महासचिव, राजस्थान शिक्षा महाविद्यालय परिषद
यूनिवर्सिटी में एकेडमिक माहौल बनाने और रेवेन्यू जेनरेट करने के लिए यह निर्णय सिंडीकेट ने लिया था। अब उसे लागू किया जा रहा है। वैसे तो बीएड व ग्रेजुएट स्टूडेंट्स का दीक्षांत समारोह से सीधे तो लेना-देना नहीं है, लेकिन इस निर्णय से उनको समय पर डिग्रियां मिलने का रास्ता भी खुल जाएगा। - बीएल गर्ग, कुलसचिव, राजस्थान यूनिवर्सिटी(हर्ष खटाना,दैनिक भास्कर,जयपुर,16.1.11)
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